घरवालों ने भले ही साथ नहीं दिया, पर सरिता नामक इस युवती को घर छोड़ बाहर निकलने के बाद एक जीवन साथी मिल गया है. घरवालों से परेशान हो घर छोड़नेवाली सरिता पांडेय को बाहर के लोगों ने जबरदस्त मदद की है. स्टेशन-बाजार पर मिले बाहरी लोगों ने पूरे ठाट-बाट के साथ सरिता के पारिवारिक रीति-रिवाज के मुताबिक उसकी शादी करा दी है. मानपुर प्रखंड के शादीपुर गांव में शुक्रवार को सरिता की शादी संपन्न हुई. खिजरसराय थाना क्षेत्र के बारा गांव के स्वर्गीय निरंजन पांडेय के बेटे गोपाल पांडेय नामक युवक ने सरिता का हाथ थामते हुए शादी के सात फेरे लिये.
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बाहरवालों ने ढूंढ़ा दूल्हा, ठाट बाट से करायी गयी शादी
मानपुर: झारखंड के गिरिडीह स्थित पीरटांड़ थाना इलाके के हरलाडीह की रहनेवाली एक युवती के साथ घर से भाग निकलने के बाद जो कुछ हुआ, उससे भाग्य में भरोसा करनेवालों को किस्मत के प्रति अपने नजरिये को सही ठहराने के लिए एक नया तर्क मिला है, एक नयी ताकत मिली है. बिना मां-बाप की यह […]
मानपुर: झारखंड के गिरिडीह स्थित पीरटांड़ थाना इलाके के हरलाडीह की रहनेवाली एक युवती के साथ घर से भाग निकलने के बाद जो कुछ हुआ, उससे भाग्य में भरोसा करनेवालों को किस्मत के प्रति अपने नजरिये को सही ठहराने के लिए एक नया तर्क मिला है, एक नयी ताकत मिली है. बिना मां-बाप की यह युवती भाई-भौजाई के उत्पीड़न से परेशान हो अपने घर से भाग निकलने के बावजूद अब बेघर नहीं है. माना जा रहा है कि उसे एक स्थायी व सुरक्षित ठिकाना मिल गया है.
पता चला है कि करीब 10 दिन पहले होली पूर्व शादीपुर के रहनेवाले कृष्णा ठाकुर गिरिडीह से अपने गांव लौट रहे थे. ट्रेन से. गया स्टेशन पर उतरने के बाद उनकी नजर सरिता पर पड़ी. उसके बॉडी लैंग्वेज से उन्हें लगा कि वह परेशान है, मुश्किल में है. उन्होंने लड़की से स्टेशन पर ही बात की. उसे समझने-बुझाने की कोशिश की. बातचीत में सरिता ने श्री ठाकुर को बताया कि उसके मां-बाप दुनिया में नहीं हैं. भाई है, जो सौतेली मां का बेटा है. भौजाई भी है. पर, सरिता की शिकायत थी कि भाई-भौजाई लगातार उसे घर में प्रताड़ित कर रहे थे. ऊब कर उसने अपना पैतृक घर छोड़ दिया था. यह सोच कर कि अब घर के बाहर ही जो होना होगा, होगा. उसने मरने-खपने तक भी हरलाडीह नहीं लौटने का फैसला कर अपने घर को अलविदा कहा था. सरिता ने खुद को हरलाडीह के स्वर्गीय सुखदेव पांडेय की बेटी बताया है.
गया स्टेशन पर मुलाकात के बाद कृष्णा ठाकुर सरिता को समझाने-बुझाने में तत्काल सफल हो गये. उन्होंने सरिता को इस बात के लिए तैयार किया कि वह अनजान दुनिया में भटकते फिरने या जान देने का अपना ख्याल त्याग दे. वह सरिता को साथ लेकर गया के मानपुर स्थित अपने गांव शादीपुर पहुंचे. गांववालों को भी सरिता की स्टोरी सुनायी. असर यह हुआ कि एक साथ कई मददगार सामने आये. कई लोगों ने सरिता पांडेय की मदद का प्रस्ताव रखा. कई ने मदद की भी. तय हुआ कि जब सरिता अपने घर लौटने को तैयार नहीं है, तो क्यों न उसका घर ही बसा दिया जाये. इसके लिए उससे गांववालों ने उसकी राय मांगी, प्राथमिकताएं पूछीं. अंतत: सरिता ने शादी के नाम पर हामी भर दी.
शादी के लिए सरिता के हां कहते ही शादीपुर के ग्रामीणों ने वर की तलाश भी शुरू कर दी. कई जगह बातचीत के बाद खिजरसराय के बारा गांव के युवक गोपाल पांडेय के साथ बात बनी. गोपाल ने जब इस युवती का हाथ थामने पर सहमति जता दी, तो सरिता के भविष्य के लिए चिंतित गांववालों ने शादी की तैयारी शुरू कर दी. ठीक उसी तरह जैसे वे अपने बेटे-बेटी और भाई-बहन की शादी के लिए करते हैं. गांववालों ने ही बैंड-बाजा, खान-पान, गाड़ी-घोड़ा व नाई-पुरोहित आदि का भरपूर इंतजाम किया. शादीपुर के एक संपन्न किसान कमलदेव सिंह कन्यादान के लिए आगे आये. शादी से जुड़े रस्मो-रिवाज के लिए जरूरी साधन-संसाधन जुटाये. इसके पश्चात शादी-विवाह के पारंपरिक माहौल में शुक्रवार की दोपहर शादीपुर व आसपास के कई जन प्रतिनिधि, मुखिया, सरपंच आदि समेत करीब दो सौ लोगों की मौजूदगी में समारोहपूर्वक सरिता और गोपाल ने एक-दूसरे का हाथ थामते हुए एक नयी जिंदगी का शुभारंभ किया. कन्यादान करनेवाले कमलदेव सिंह ने ताउम्र सरिता के पिता की भूमिका निभाने का वादा किया. उन्होंने कहा कि वह जब तक दुनिया में हैं, सरिता के लिए उनका घर मायका है और वह जब चाहे उनके घर पधारे.
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