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छात्र-छात्राओं को किताबों का नहीं मिल रहा लाभ
जिले का सबसे बड़ा अनुमंडल है शेरघाटी शेरघाटी : जिले का सबसे बड़ा व ऐतिहासिक शेरघाटी अनुमंडल एक पुस्तकालय के लिए तरस रहा है. इसके न होने की टीस यहां के छात्र व लोगों को है. पुस्तकालय की कमी के कारण प्रतिभाशाली छात्र, बुद्धिजीवियों, शिक्षाप्रेमियों व प्रतियोगी छात्र–छात्राओं में निराशा है. गौरतलब है कि शेरघाटी […]
जिले का सबसे बड़ा अनुमंडल है शेरघाटी
शेरघाटी : जिले का सबसे बड़ा व ऐतिहासिक शेरघाटी अनुमंडल एक पुस्तकालय के लिए तरस रहा है. इसके न होने की टीस यहां के छात्र व लोगों को है. पुस्तकालय की कमी के कारण प्रतिभाशाली छात्र, बुद्धिजीवियों, शिक्षाप्रेमियों व प्रतियोगी छात्र–छात्राओं में निराशा है.
गौरतलब है कि शेरघाटी अनुमंडल 15 जुलाई वर्ष 1983 को अस्तित्व में आया था. लगभग 33 साल गुजर जाने के बाद भी यहां एक भी पुस्तकालय नहीं बन सका. जानकारों की मानें, तो 80 के दशक में यहां नारायण पुस्तकालय की शुरुआत की गयी. उसी दौर में शहर के लोदीशहीद में नूर लाइब्रेरी, डाॅ जहीर तिश्ना लाइब्रेरी, शाहीन लाइब्रेरी में हमजापुर में कौश उर्दू लाइब्रेरी अपने समय में परवान पर थी. जहां साहित्यिक पुस्तकों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा दुर्लभ पुस्तकें हिंदी, उर्दू व अंगरेजी में उपलब्ध रहती थी. वर्ष 2012 में तत्कालीन डीएम वंदना प्रेयसी ने जिले में बंद व बदहाल पड़े पुस्तकालयों के सत्यापन के लिए जब अधिकारियों को आदेश दिया था, तो लोगों में यह उम्मीद जगी कि अब बंद पड़े पुस्तकालयों को पुनर्जीवन मिलेगा. लेकिन, उनके स्थानांतरण के बाद इस दिशा में कोई कारगर पहल नहीं हो पायी.
एसडीओ ज्योति कुमार ने बताया कि जल्द ही शेरघाटी के नारायण पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के लिए कार्य शुरू होगा. उन्होंने कहा कि पुस्तकालय को शुरू करने के लिए कार्य शुरू किये जा रहे हैं. पुस्तकालय की ताजा स्थिति की जांच कर उसकी रिपोर्ट सीओ अखिलेश चौधरी से मांगी गयी है.
शैक्षणिक समृद्धि में पुस्तकालय सहायक
राज्यपाल द्वारा सम्मानित अवकाश प्राप्त शिक्षक यदुनंदन राम का कहना है कि युवा पीढ़ियों में बौद्धिक तथा शैक्षणिक समृद्धि के लिए पुस्तकालय सहायक होता है. साधन विहीन व अल्प आय के लोग महंगी किताबें खरीद पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. इसलिए पुस्तकालय की अनिवार्यता होती है.
समाज में पुस्तकालय की भूमिका अहम
उर्दू व फारसी अदब के राज्य सरकार द्वारा सम्मानित साहित्यकार नावक हमजापुरी ने पुस्तकालय के महत्व पर अपनी राय प्रकट करते हुए बताया कि समाज में पुस्तकालय की एक अहम भूमिका होती है.
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