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अब पेशा कर के रुपये से नहीं होगा शहर का विकास

गया: शहर के लाेगों से वसूले जाने वाले पेशा कर के पैसों से अब शहर का विकास नहीं हाेगा. राज्य सरकार ने पेशा कर से मिले पैसों को वेतन मद में खर्च करने का आदेश दिया है. वित्तीय वर्ष 2016-17 से पहले इस पैसे को विकास के कार्य में खर्च किया जाता था. संबंधित आदेश […]

गया: शहर के लाेगों से वसूले जाने वाले पेशा कर के पैसों से अब शहर का विकास नहीं हाेगा. राज्य सरकार ने पेशा कर से मिले पैसों को वेतन मद में खर्च करने का आदेश दिया है. वित्तीय वर्ष 2016-17 से पहले इस पैसे को विकास के कार्य में खर्च किया जाता था. संबंधित आदेश नगर विकास विभाग के सचिव ने नगर निगम को भेजा है.
पेशा कर के पैसों से कई विकास योजनाएं आज भी नगर निगम के वार्डों में चलाये जा रहे हैं. वर्ष 2012 से पहले पेशा कर की वसूली नगर निगम के कर्मचारियों के माध्यम से करायी जाती थी. उस दौरान निगम को 15 लाख रुपये से अधिक वार्षिक वसूली नहीं होती थी. बाद में नगर विकास विभाग ने समझौता कर पेशा कर वसूली का जिम्मा वाणिज्य कर विभाग को सौंप दिया. इसमें यह तय हुआ कि पेशा कर के तौर पर वसूली गयी रकम में से 60 फीसदी नगर निगम व 40 फीसदी वाणिज्य कर विभाग को मिलेगा. इसके बाद यह वसूली करोड़ में पहुंच गया.
योजनाएं रह जायेंगी अधूरी
राज्य सरकार के आदेश के बाद कई योजनाओं को पूरा करने में परेशानी होगी. पेशा कर के पैसे के बदौलत ही कई योजनाओं को शुरू किया गया था. इन योजनाओं में कुछ पैसे पिछले वित्तीय वर्ष के भी लगाये गये हैं. अब जब इन योजनाओं को पेशा कर से पैसा नहीं मिलेगा तो ये अधूरी रह जायेंगी.
करना पड़ता है कई माह का इंतजार
पेशा कर व होल्डिंग टैक्स को मिला कर भी कर्मचारियों के वेतन का खर्च पूरा नहीं हो पाता है. वेतन भुगतान को पूरा करने के लिए पंचम वित्त आयोग में आवंटित पैसों को भी लगाया जाता है. इसके अलावा सरकार से भी कई बार वेतन के लिए मदद मांगी जाती है. इसके बाद भी कर्मचारियों को वेतन के लिए कई-कई माह तक इंतजार करना होता है.

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