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स्नातक से लेकर इंटर तक एक जैसा ही हाल
गौतम बुद्ध महिला कॉलेज का छात्राओं में क्रेज कम हुआ है. कॉलेज में उपलब्ध सीटों के अनुसार छात्राओं में नामांकन को लेकर उत्साह नहीं है. गया : शहर में महिलाओं के लिए बना गौतम बुद्ध महिला (जीबीएम) कॉलेज इन दिनों एडमिशन के लिए छात्राओं की राह देख रहा है. डिग्री कोर्स हो या इंटरमीडिएट, दोनों […]
गौतम बुद्ध महिला कॉलेज का छात्राओं में क्रेज कम हुआ है. कॉलेज में उपलब्ध सीटों के अनुसार छात्राओं में नामांकन को लेकर उत्साह नहीं है.
गया : शहर में महिलाओं के लिए बना गौतम बुद्ध महिला (जीबीएम) कॉलेज इन दिनों एडमिशन के लिए छात्राओं की राह देख रहा है. डिग्री कोर्स हो या इंटरमीडिएट, दोनों में यही हाल है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि कॉलेज में एडमिशन हुआ ही नहीं है, लेकिन सीट की तुलना में काफी कम हुआ है. इनमें भी अधिकतर ग्रामीण परिवेश की छात्राएं ही हैं. ऐसा नहीं है कि कॉलेज में शिक्षकों की कमी है, पर छात्राआें का इस कॉलेज के प्रति रुझान ही नहीं देखा जा रहा है.
इधर, कॉलेज प्रशासन छात्राओं को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटा है, पर कोई विशेष सफलता नहीं मिल रही है. कॉलेज प्रबंधन नैक की ग्रेडिंग पाने के लिए भी हाथ-पांव चला रहा है, पर उसे सफलता नहीं मिल रही है. फिलहाल, इस बार साइंस विषय में स्नातक पार्ट वन में एडमिशन लेनेवाली छात्राओं की संख्या मात्र 22 है, जबकि आर्ट्स की स्थिति कुछ हद तक ठीक है. इनमें 80 छात्राओं ने नामांकन लिया है. आइए में 23 व आइएससी में 20 छात्राओं ने एडमिशन लिया है.
कभी होता था खूब क्रेज
किसी जमाने में जीबीएम काॅलेज का खूब क्रेज हुआ करता था. शहरी व ग्रामीण छात्राओं की अच्छी खासी उपस्थिति होती थी. एडमिशन के लिए छात्राओं व उनके अभिभावकों को खूब जोर-तोड़ करना पड़ता था. पढ़ाई-लिखाई का स्तर भी बेहतर था. पर, अब ऐसा नहीं रहा. छात्राओं की संख्या कम हुई, तो शिक्षकों की रुचि भी कम होती चली गयी. अब तो हाल ऐसा हो गया है कि कॉलेज में एडमिशन से जुड़े कर्मचारी भूले-भटके छात्राओं के आ जाने का इंतजार करते हैं.
नहीं है संसाधनों की कमी
ऐसा नहीं है कि काॅलेज के पास पठन-पाठन से संबंधित संसाधन नहीं हैं. साइंस विषयों के लिए लैब से लेकर शिक्षक तक मौजूद हैं. आर्ट्स विषयों के लिए भी शिक्षक हैं. यह अलग बात है कि उसके पास अपनी बिल्डिंग नहीं है. हालांकि, उसकी बिल्डिंग सिविल लाइंस के पास तैयार की जा रही है. काॅलेज प्रबंधन का कहना है कि भविष्य में कॉलेज उसी बिल्डिंग में चलेगा.
पढ़ाई के साथ मिल रहा बेहतर माहौल
काॅलेज प्रबंधन छात्राओं को बेहतर पढ़ाई के साथ माहौल भी दे रहा है. छात्राएं भी प्रतिवर्ष बेहतर परिणाम दे रही हैं. छात्राओं की संख्या में कमी आने की वजह शहर के दो काॅलेज हैं. दोनों काॅलेज आसपास के बड़े इलाके को कवर करते हैं, जिसकी वजह से छात्राएं नजदीक के कॉलेज की ओर रुख करती हैं.
डाॅ सत्येंद्र प्रजापति, प्रिंसिपल
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