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अब मिडिल से लेकर हाइस्कूलों तक होगी लैब

गया: सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चे अब प्रयोगशाला के लिए नहीं तरसेंगे. उन्हें स्कूल में ही केंद्र की वित्त पोषित योजना के तहत लैबोरेटरी उपलब्ध होगी. बच्चे अपने रचनात्मक, गुणात्मक व वैज्ञानिक सोच को लेबोरेटरी के माध्यम से बेहतर कर सकते हैं. यह सुविधा गांव से लेकर शहर तक के स्कूलों के लिए है. खास […]

गया: सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चे अब प्रयोगशाला के लिए नहीं तरसेंगे. उन्हें स्कूल में ही केंद्र की वित्त पोषित योजना के तहत लैबोरेटरी उपलब्ध होगी. बच्चे अपने रचनात्मक, गुणात्मक व वैज्ञानिक सोच को लेबोरेटरी के माध्यम से बेहतर कर सकते हैं. यह सुविधा गांव से लेकर शहर तक के स्कूलों के लिए है. खास बात यह है कि प्रयोगशाला से लैस स्कूलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष प्रतियोगिता भी करायी जायेगी, जहां उन्हें अपने सोच को साकार करने का प्लेटफॉर्म भी मिलेगा.
केंद्र सरकार ने देश के सभी जिलों के तमाम एेसे स्कूलों के लिए ‘अटल टिंकरिंग लैबोरेटरी योजना’ लांच किया है, जहां छठी से लेकर 12वीं तक पढ़ाई होती है. ऐसे स्कूल इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी को इस बाबत राज्य परियोजना निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) की ओर से आदेश मिल गया है. उन्होंने ने भी संबंधित आदेश को अपने मातहतों तक पहुंचा दिया है. कहा गया है कि इस योजना को विद्यालयों में संचालित करना आवश्यक है, ताकि बच्चों की प्रतिभा में तेजी से निखार आ सके और बच्चे राष्ट्रीय फलक पर अपनी विशेष पहचान बना सकें.
केंद्र से मिलेगी सहायता : योजना को मूर्त रूप देने के लिए हर स्कूल को प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए 10 लाख रुपये केंद्र सरकार की ओर से एकमुश्त मुहैया कराये जायेंगे. इसके बाद प्रयोगशाला संचालित करने के लिए उन्हें 10 लाख रुपये पांच वर्ष में आवंटित किये जायेंगे. इसके अलावा जिले के चयनित विद्यालयों को 20 लाख रुपये लैब के संचालन के लिए अलग से केंद्र सरकार व्यय करेगा.

इस राशि से उपकरण की खरीद होगी, ताकि बच्चे औजार व उपकरण के प्रयोग की जानकारी से परिपूर्ण हो सकें. इस योजना के बारे में केंद्र सरकार की वेबसाइट niti.gov.in/content/atal.tinkering.laboratorise पर जरूरी जानकारी है. खास बात यह भी है कि प्रयोगशाला के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. आॅनलाइन आवेदन के साथ स्कूल में प्रयोगशाला स्थापित होने के बाद वहां के शिक्षक अपने बच्चों को रचनात्मक गुणात्मक व वैज्ञानिक सोच को पटल पर लाने के लिए किस प्रकार प्रेरित करेंगे, इस बात का उन्हें पांच सौ शब्दों में उल्लेख करना होगा. डीइओ ठाकुर मनोरंजन प्रसाद ने बताया कि इस योजना को प्रभावी बनाये जाने के लिए सभी

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