Advertisement
पर्यावरण विज्ञान की होगी पढ़ाई
बढ़ते प्रदूषण को लेकर एमयू प्रशासन भी गंभीर हुआ है. स्नातक के स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी देने के िलए पढ़ाई शुरू कराने की योजना है. िसडिंकेट की बैठक में सदस्यों ने सहमति जतायी है. बोधगया : बढ़ते प्रदूषण के कारण इकोलॉजिकल संतुलन बिगड़ गया है. जलवायु में परिवर्तन होना भी एक मुख्य वजह है. इस […]
बढ़ते प्रदूषण को लेकर एमयू प्रशासन भी गंभीर हुआ है. स्नातक के स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी देने के िलए पढ़ाई शुरू कराने की योजना है. िसडिंकेट की बैठक में सदस्यों ने सहमति जतायी है.
बोधगया : बढ़ते प्रदूषण के कारण इकोलॉजिकल संतुलन बिगड़ गया है. जलवायु में परिवर्तन होना भी एक मुख्य वजह है. इस विषयवस्तु को मगध विश्वविद्यालय ने भी गंभीरता से लिया है और स्नातक के विद्यार्थियों को पर्यावरण से संबंधित जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में पर्यावरण विज्ञान नामक विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ाने का निर्णय लिया है.
हाल ही में कुलपति आवास पर हुई सिडिंकेट की बैठक में सदस्यों ने स्नातक के पाठ्यक्रम में पर्यावरण विज्ञान को लागू करने पर अपनी सहमति भी जता दी है. कुलपति प्रो (डॉ) मोहम्मद इश्तियाक ने इस पाठ्यक्रम को सत्र 2016-17 से ही लागू करने का निर्देश दिया है. एमयू के अधिकारी बताते हैं कि आज भारत ही नहीं विश्व के सभी देशों में पर्यावरण असंतुलन एक बड़ी चुनौती है. विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में इस विषय के समावेश से छात्र समुदाय से यह अपेक्षित है कि पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेवारियां बढ़ेंगी.
प्रदूषणमुक्त व इकोलॉजिकली संतुलित विश्व के निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित कर सकेंगे. पाठ्यक्रम में इस विषय के समावेश का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ विद्यार्थियों को इन तथ्यों से अवगत कराना है, बल्कि इस वैश्विक चुनौती का हल भी सामने लेकर आने की उम्मीद की जा रही है.
उक्त विषय के अध्ययन-अध्यापन के क्रम में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह विषय कितना सैद्धांतिक है. पर्यावरण विज्ञान शिक्षण की बातें कक्षा की चहारदीवारी तक सीमित न रह कर प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में उतरने व झलकने की आवश्यकता है. मगध विश्वविद्यालय की यह पहल स्वागतयोग्य है और वैश्विक चुनौती कम करने में मगध विश्वविद्यालय ने अपना योगदान सुनिश्चित किया है. स्नातक के पाठ्यक्रम में 100 अंकों के सामान्य ज्ञान का पेपर मूल रूप से बिल्कुल सैद्धांतिक पेपर हुआ करता था.
इसका वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग बहुत कम था और स्नातक स्तर पर पढ़नेवाले विद्यार्थी देश के जिम्मेवार नागरिक भी होते हैं.
अत: अनिवार्य रूप से उन्हें पर्यावरण विज्ञान का अध्ययन करना चाहिए और इसके सकारात्मक अनुप्रयोगों को अपने जीवन के प्लेटफॉर्म पर उतार कर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान सुनिश्चित करें. गौरतलब है कि नये सत्र से स्नातक के विद्यार्थियों को पर्यावरण से संबंधित 50 अंकों की परीक्षा देनी होगी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement