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फाजली चले गये पर निदा हमारे बीच ही हैं : अहमद

गया: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के गया कैंपस में साेमवार काे हिंदी व उर्दू के प्रसिद्ध कवि व शायर निदा फाजली की श्रद्धांजलि सभा मनायी गयी. भारतीय फाषा केंद्र (उर्दू) के सहायक प्राध्यापक डॉ अहमद कफील ने इस माैके पर कहा कि निदा फाजली का निधन आठ फरवरी काे हाे गया. वह हमारे देश […]

गया: दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के गया कैंपस में साेमवार काे हिंदी व उर्दू के प्रसिद्ध कवि व शायर निदा फाजली की श्रद्धांजलि सभा मनायी गयी. भारतीय फाषा केंद्र (उर्दू) के सहायक प्राध्यापक डॉ अहमद कफील ने इस माैके पर कहा कि निदा फाजली का निधन आठ फरवरी काे हाे गया. वह हमारे देश की साझी विरासत के अमीन थे. उन्हाेंने कहा कि फाजली भले ही इस संसार से चले गये पर निदा हमारे बीच रह गयी है आैर यह हमेशा हमारे साथ रहेगी.
उन्हाेंने कहा कि निदा ने मंदिर के भजन से अपनी शायरी की शुरुआत की. वह मीराबाई, कबीर व बिहारी के साथ कुली कुतुबशाह, मीर, गालिब, नजीर व इकबाल से बहुत प्रभावित थे. मानवता ही उनका धर्म था. उन्हाेंने गीता व कुरान से प्यार का पैगाम दिया. फिल्म व साहित्य दाेनाें में उनका बड़ा याेगदान रहा.

सभा की शुरुआत डॉ प्रणव कुमार ने निदा की गजल-‘तनहा-तनहा दुख झेलेंगे, महफिल-महफिल गायेंगे…’ भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष डॉ रवींद्र कुमार पाठक, सहायक प्राध्यापक डॉ कर्मानंद आर्य ने कहा कि निदा ने गजलाें काे जिस भाषा में प्रस्तुत किया. वह आमजन की भाषा रही. डॉ याेगेश प्रताप शेखर ने उन्हें मासूमियत का शायर बताया. डॉ अनुज लुगुन ने उन्हें मानवता का डाकिया बताया. सभा का संचालन डॉ शांति भूषण ने किया. इस माैके पर डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ अंबरीश गाैतम, डॉ अहसान राशिद, डॉ ऋचा व डॉ परिजात के अलावा छात्र-छात्राआें ने अपने विचार रखे.

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