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नहीं मिला लाइसेंस, तो खड़ी होगी बड़ी समस्या
गया : सरकार के घाट से बालू के उठाव पर रोक लागाये जाने के कारण निजी भवन निर्माण का कार्य करीब थम सा गया है. अगर ये निर्देश जारी रहा, तो लाखों लोग बेरोजगार हो जायेंगे. रियल इस्टेट के धंधे चौपट हो जायेगा व आम लोगों को के लिए किसी प्रकार का निर्माण कराना मुश्किल […]
गया : सरकार के घाट से बालू के उठाव पर रोक लागाये जाने के कारण निजी भवन निर्माण का कार्य करीब थम सा गया है. अगर ये निर्देश जारी रहा, तो लाखों लोग बेरोजगार हो जायेंगे. रियल इस्टेट के धंधे चौपट हो जायेगा व आम लोगों को के लिए किसी प्रकार का निर्माण कराना मुश्किल हो जायेगा.
बालू के टेंडर से पहले विभाग द्वारा ठेकेदार को पर्यावरण एनओसी की आवश्यकता नहीं बतायी गयी थी. एक साल टेंडर की अवधी गुजरने के बाद सरकार द्वारा बालू उठाव पर रोक लगा दी गयी है.
सूत्रों की माने, तो बालू उठाव चालू कराने के लिए स्टेट इंन्वायरोमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट आॅथरिटी या नेशनल ग्रीन ट्रिमनल (कोलकाता) से पर्यावरण एनओसी लाना होगा, जबकि अनुज्ञप्ति धारक कंपनी ने खनन विभाग को इस वर्ष का आधा पैसा जमा कर दिया है. बाकी रुपये 25-25 फीसदी कर अप्रैल व सितंबर में जमा करने हैं. कोई भी निर्माण कार्य बालू उपलब्धता
पर ही निर्भर होता है. बालू उठाव पर रोक के बाद सभी जगह काम थम जायेगा. इसका असर दो तीन दिनों में दिखने लगेगा.
रकम घटा कर दिया गया टेंडर: खनन विभाग द्वारा 44 करोड़ रुपये में जिले के सभी नदी से बालू उठाव के लिए नवंबर 2014 से मार्च 2015 तक छह बार टेंडर निकाला गया. लेकिन, किसी भी कंपनी ने टेंडर लेने में दिलचस्पी नहीं दिखायी. उसके बाद विभाग ने टेंडर के रुपये घटाकर 18 करोड़ रुपये कर दिये. इसके बाद तीन कंपनियों ने टेंडर डाले. इसके बाद वेस्टलिंक ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड को 21 करोड़ रुपये में टेंडर दिया गया. 12 मार्च 2015 से सभी घाटों पर बालू का उठाव शुरू किया गया. रॉयल्टी बढ़ाने को लेकर बीच में एक माह तक बालू उठाव बंद रहा. उस वक्त भी आम जन को बालू के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ी थी.
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