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कंपनियों के दबाव तले दबे वितरक

कंपनियाें के दबाव तले दबे वितरकचैंबर व दैनिक उपयाेग के उत्पादाें के वितरकाें की बैठक में सामने आयी बातएफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसाेसिएशन का किया गया गठनमुख्य संवाददाता, गयासेंट्रब बिहार चैंबर अॉफ कॉमर्स के कार्यालय में रविवार काे एफएमसीजी (दैनिक उपयाेग के उत्पादाें) के वितरकाें के साथ बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता चैंबर के अध्यक्ष हरिप्रकाश केजरीवाल ने […]

कंपनियाें के दबाव तले दबे वितरकचैंबर व दैनिक उपयाेग के उत्पादाें के वितरकाें की बैठक में सामने आयी बातएफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसाेसिएशन का किया गया गठनमुख्य संवाददाता, गयासेंट्रब बिहार चैंबर अॉफ कॉमर्स के कार्यालय में रविवार काे एफएमसीजी (दैनिक उपयाेग के उत्पादाें) के वितरकाें के साथ बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता चैंबर के अध्यक्ष हरिप्रकाश केजरीवाल ने की. बैठक में उपभाेक्ताओं के अलावा दैनिक उपयोग के उत्पाद बनानेवाली कई बहुराष्ट्रीय व राष्ट्रीय कंपनियाें के वितरकाें ने भाग लिया. बैठक दैनिक उपयाेग के उत्पादाें के कारोबार से जुड़े व्यवसायियाें की समस्याआें पर विचार-विमर्श व उनके बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से आयोजित की गयी. बैठक में एफएमसीजी कंपनियों के वितरकाें ने कहा कि उनके व्यवसाय में अन्य व्यवसायाें की तुलना में अधिक पूंजी लगती है, लेकिन मुनाफा कम होता है. इसके अलावा कंपनियों की तरफ से भी दबाव रहता है. कंपनियां शत-प्रतिशत नगद पर माल देती हैं और उधार में माल बेचने काे विवश करती हैं. कंपनियाें के पास वितरकाें के ब्लैंक चेक रहते हैं, जिसका वह दुरुपयाेग करती हैं. कंपनियों द्वारा एक वितरक काे दूसरे वितरकाें के क्षेत्र में कम कीमत पर माल बेचने का दबाव दिया जाता है, जाे अस्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा काे जन्म देती है. माैखिक आश्वासन पर काम कराकर मुकर जाना कंपनियों की फितरत है. जब वितरक उनकी इच्छा के विपरीत काम करते हैं, ताे बिना आधार के ही वे बदल दिये जाते हैं. एक बिस्कुट निर्माता कंपनी ने ताे विगत 10 वर्षाें में सात बार अपना वितरक बदला है. इसका खामियाजा वितरकाें काे ही उठाना पड़ता है. बैठक में शामिल लाेगाें ने स्वीकार किया कि व्यवसायियाें के बीच तालमेल व एकता के अभाव का फायदा उठा कर कंपनियां एेसा करते हैं. वितरकों ने आैरंगाबाद व जहानाबाद जैसे छाेटे बाजारों में, जहां इन वितरकाें के बीच एकता व तालमेल हैं, वहां कंपनियां गलत करने में हिचकिचाती हैं. वितरक के जाने या फिर हॉकराें द्वारा दूसरे वितरक के क्षेत्राें से अवैध रूप से माल बेचने से सरकारी राजस्व काे ही नुकसान पहुंचता है. इसका दुष्परिणाम भी वितरकाें काे उठाना पड़ता है. खासकर ऐसा महीने के अंत में क्लाेजिंग के समय ही हाेता है. ऐसे में निर्णय लिया गया कि चैंबर के सहयाेग से आयकर व बिक्री कर जैसे विभागाें काे वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा. इससे इन गलत प्रवृतियाें व व्यापार पर राेक लग सके. इस समस्याओं को दूर करने के लिए ऐसे में एफएमसीजी वितरकाें का भी एक असरदार संगठन होना जरूरी है. बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर काेई कंपनी किसी वितरक काे बिना पर्याप्त कारण के अचानक हटाना चाहेगी, ताे एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसेासिशएन के सदस्य इसका विराेध करेंगे. हटाने पर वितरकों के पुराने हिसाब कंपनियां तत्काल दे दें, ताकि उन्हें आर्थिक क्षति न हाे. बैठक में एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसाेसिएशन का गठन किया गया. इसमें चैंबर से सहयाेग की अपेक्षा की गयी. यह भी निर्णय लिया गया कि वितरकाें में आपसी सहयाेग बना कर रखा जायेगा, ताकि व्यापार में गलत प्रवृतियाें काे बढ़ावा न मिल सके. पूरी कमेटी के गठन से पहले तात्कालिक रूप से डॉ अनूप कुमार केडिया काे एसाेसिएशन का संयाेजक व चैंबर अॉफ कॉमर्स के महासचिव गाेवर्धन प्रसाद बरनवाल काे सहसंयाेजक मनाेनीत किया गया. बैठक में डाबर, नेशले, पारले, ब्रिटानिया, गाेदरेज, हॉर्लिक्स, आइटीसी, आरटीसी, ड्यूक, एवरेडी, आरबीआइ, हिंदुस्तान यूनीवर, जॉनसन एंड जॉनसन, बीडी लाइट व बिस्क फॉर्म समेत कई कंपनियों के वितरक शामिल थे.

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