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लेवी नहीं देने पर डोभी में नक्सलियों ने फूंकी पोपलेन

लेवी नहीं देने पर डोभी में नक्सलियों ने फूंकी पोपलेनडोभी प्रखंड क्षेत्र में धीरजा पुल नहर पर हो रहा सड़क का निर्माणपीएलएफआइ ने ठेकेदार से मांगी थी 20 लाख रुपये की लेवी वरीय संवाददाता, गया/डोभी डोभी प्रखंड क्षेत्र में धीरजा पुल नहर पर सड़क निर्माण करा रही कंस्ट्रक्शन कंपनी के अस्थायी कैंप पर हमला कर […]

लेवी नहीं देने पर डोभी में नक्सलियों ने फूंकी पोपलेनडोभी प्रखंड क्षेत्र में धीरजा पुल नहर पर हो रहा सड़क का निर्माणपीएलएफआइ ने ठेकेदार से मांगी थी 20 लाख रुपये की लेवी वरीय संवाददाता, गया/डोभी डोभी प्रखंड क्षेत्र में धीरजा पुल नहर पर सड़क निर्माण करा रही कंस्ट्रक्शन कंपनी के अस्थायी कैंप पर हमला कर हथियारों से लैस नक्सलियों ने पोपलेन में आग लगा दी और लेवी की मांग को लेकर जम कर नारेबाजी की. साथ ही, लेवी नहीं देने पर और बुरा अंजाम भुगतने की धमकी देते हुए नक्सली झारखंड के हंटरगंज-चतरा की ओर भाग निकले. हालांकि, शेरघाटी डीएसपी उपेंद्र प्रसाद व डोभी थानाध्यक्ष इस घटना की पुष्टि नहीं कर रहे हैं. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है. पीएलएफआइ ने ली जिम्मेवारी पोकलेन जलाने की घटना की जिम्मेवारी पीएलएफआइ नामक नक्सली संगठन के बिहार व झारखंड के स्पेशल एरिया कमेटी सुप्रीमो संजय यादव ने ली है. श्री यादव ने दूरभाष पर प्रभात खबर को बताया है कि घोड़ाघाट की ओर से धीरजा पुल होते हुए डोभी प्रखंड क्षेत्र से गुजरनेवाली नहर पर सड़क का निर्माण किया जा रहा है. सड़क निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार से 20 लाख रुपये की लेवी मांगी गयी थी. लेवी दिये बगैर ठेकेदार द्वारा सड़क का काम शुरू कर दिया गया. ठेकेदार को अल्टीमेटम भी दिया गया, लेकिन, वह सड़क निर्माण जारी रखा. घूसखोर अफसरों पर ठेकेदार करें केस, तो नहीं मांगेंगे लेवीपीएलएफआइ सुप्रीमो ने बताया कि सड़क निर्माण में ठेकेदार व विभागीय अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की हेरा-फेरी की जाती है. अफसराें के आवास पर जब ठेकेदार रिश्वत के रूप में लाखों रुपये लेकर पहुंचते हैं, तब उन्हें देखनेवाला कोई नहीं होता है. घूसखोर अफसरों पर काेई कार्रवाई नहीं होती है. लेकिन, जब किसी गरीब-गुरबों से जुड़े किसी नक्सली संगठन द्वारा लेवी की मांग की जाती है, तो ठेकेदारों के हाथ-पैर फूलने लगते हैं. इसकी शिकायत ठेकेदार पुलिस से करते हैं. जब ये अफसर नाजायज रूप से रुपये मांगते हैं, तो ठेकेदार उनके विरुद्ध थाने में शिकायत क्यों नहीं करते हैं? जिस दिन ठेकेदार सरकारी योजनाओं को पूरा करने में शत-प्रतिशत रुपये खर्च करने लगेंगे और घूसखोर अफसरों पर एफआइआर दर्ज कराना शुरू कर देंगे, उस दिन से ही नक्सली संगठन द्वारा ठेकेदारों से लेवी की मांग नहीं की जायेगी. इसके अलावा उनके कैंपों पर हमला कर मशीनें नहीं जलायी जायेंगी.

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