ड्रग इंस्पेक्टरों के विवाद में पिस रहे दवा व्यवसायीछह दिनों से सील आरके एजेंसी पर अब तक कोई कार्रवाई नहींसंवाददाता, गयाशहर के टिकारी रोड दवा मंडी स्थित आरके एजेंसी पिछले छह दिनों से सील है, पर विभाग की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. दवा व्यवसाइयों की मानें तो, आर्थिक नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से एजेंसी को सील किया गया है.उल्लेखनीय है कि गत 28 दिसंबर को पटना से वरीय ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत की नेतृत्व में टीम ने आरके एजेंससी को सील किया था. वरीय ड्रग इंस्पेक्टर मुताबिक दूसरे दिन सील खोल कर एजेंसी का ऑडिट किया जाना था, पर, स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता के उपलब्ध नहीं रहने के कारण ऐसा नहीं हो सका. सील की गयी दवा एजेंसी के ताले की चाबी राजीव कुमार गुप्ता को सौंप दी गयी थी. इधर, तीसरे दिन स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता टीम इंतजार करते रहे, लेकिन टीम नहीं आयी. इस प्रकार अब तक छह दिन गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक विभाग की तरफ से कार्रवाई नहीं किये जाने से दवा व्यवसायियों में नाराजगी है. दवा व्यवसायियों की मानें, तो भयादोहन करने का यह तरीका काफी पुराना है. आर्थिक नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किसी भी दुकान को कभी भी सील कर दिया जाता है. वरीय ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत आरके एजेंसी को अहिवरण फार्मा का गोदाम बताते हैं, तो स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता इसका अलग लाइसेंस होने का दावा करते हैं. ऐसे में जांच टीम पर प्रश्नचिह्न लगना लाजिमी है. इस बाबत पूछने जाने पर वरीय ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत ने बताया कि एजेंसी के प्रोपराइटर फरार हैं. जब तक वह उपस्थित नहीं होते हैं, एजेंसी का सील नहीं खोला जा सकता. यह स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर का दायित्व है कि एजेंसी के प्रोपराइटर की उपलब्धता सुनिश्चित कर टीम को सूचित करें. इसके बाद ही टीम आगे की कार्रवाई करेगी. इधर, स्थानीय ड्रग इंस्पेक्टर राजीव कुमार गुप्ता पटना से आयी टीम की कार्रवाई को ड्रग कंट्रोल एक्ट के विरुद्ध मानते हैं.
ड्रग इंस्पेक्टरों के विवाद में पिस रहे दवा व्यवसायी
ड्रग इंस्पेक्टरों के विवाद में पिस रहे दवा व्यवसायीछह दिनों से सील आरके एजेंसी पर अब तक कोई कार्रवाई नहींसंवाददाता, गयाशहर के टिकारी रोड दवा मंडी स्थित आरके एजेंसी पिछले छह दिनों से सील है, पर विभाग की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. दवा व्यवसाइयों की मानें तो, आर्थिक नुकसान […]
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