बोधगया: महाबोधि मंदिर में सोमवार से शुरू हुए नौवां इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग समारोह के दौरान मंदिर परिसर में एक साथ कई देशों की संस्कृतियों से मुखातिब होने का अवसर लोगों को मिल रहा है.
संस्कृतियों का समागम, अलग-अलग बोली-भाषा, पारंपरिक परिधान के साथ ही एक तरह की आस्था. सभी श्रद्धालुओं के सिर पर भगवान बुद्ध के उपदेश वाली पुस्तक त्रिपिटक को लिए महाबोधि मंदिर की परिक्रमा करते विभिन्न देशों के नागरिकों को देखना काफी सुखद है. पवित्र बोधि वृक्ष के छांव तले एक मैदान में बैठ कर भगवान बुद्ध की आराधना करते विभिन्न देशों के श्रद्धालुओं के कारण यहां संस्कृतियों का जमघट लग चुका है.
इस भीड़ में म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, बांग्लादेश, भारत सहित कई यूरोपीय देशों के नागरिक एक साथ बैठे हैं. एक-दूसरे की भाषा भले ही नहीं समझ रहें हों, पर भगवान बुद्ध के प्रति उनकी आस्था एक ही दिशा में ले जाने को तैयार है. हालांकि, मंगलवार से त्रिपिटक की चैंटिंग अलग-अलग देशों के भिक्षु अलग-अलग खेमे में बंट कर करेंगे. पर, सभी ने मिल कर इसका आयोजन किया है.