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अपना भवन नहीं, फिर भी टॉप स्कूलों में शुमार

अपना भवन नहीं, फिर भी टॉप स्कूलों में शुमार हाल प्लस-टू जिला स्कूल परिसर में चल रहे प्लस टू राजकीय उच्च विद्यालय नवस्थापित का1988 से प्लस टू जिला स्कूल की तीन कमरों वाली प्रयोगशाला में चल रहा विद्यालय 2008 व 2012 की मैट्रिक परीक्षा में बेहतर परिणाम देने पर स्कूल बना था जिला टॉपरसंवाददाता, गया […]

अपना भवन नहीं, फिर भी टॉप स्कूलों में शुमार हाल प्लस-टू जिला स्कूल परिसर में चल रहे प्लस टू राजकीय उच्च विद्यालय नवस्थापित का1988 से प्लस टू जिला स्कूल की तीन कमरों वाली प्रयोगशाला में चल रहा विद्यालय 2008 व 2012 की मैट्रिक परीक्षा में बेहतर परिणाम देने पर स्कूल बना था जिला टॉपरसंवाददाता, गया प्लस टू राजकीय उच्च विद्यालय नवस्थापित के पास न तो अपना भवन है और न ही भवन बनाने के लिए जमीन. 1988 से प्लस-टू जिला स्कूल के तीन कमरों वाली प्रयोगशाला में चल रहा है. हाइस्कूल में पर्याप्त शिक्षक भी नहीं हैं. हिंदी, गणित, विज्ञान, उर्दू, संगीत व सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली हैं. बावजूद, यह स्कूल जिले टॉप चार हाइस्कूलों में शुमार है. गौरतलब है कि 2008 व 2012 की मैट्रिक परीक्षा में बेहतर परिणाम देने के कारण इस हाइस्कूल को जिला टॉपर का खिताब भी मिल चुका है. शिक्षा संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार ने प्लस-टू जिला स्कूल के समकक्ष एक नये स्कूल की स्वीकृति प्रदान की, जिसका नाम प्लस-टू राजकीय उच्च विद्यालय नवस्थापित रखा गया. भूमि व भवन के अभाव में आनन-फानन में प्लस-टू जिला स्कूल के कुछ शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति कर इसी स्कूल की तीन कमरोंवाली प्रयोगशाला में नौ मई, 1988 को हाइस्कूल का शुभारंभ किया गया. तब से इसी तीन कमरे में स्कूल चल रहा है. दो कमरों का उपयोग वर्ग कक्ष व एक का उपयोग कार्यालय सह शिक्षक कक्ष के रूप में होता है. प्रयोगशाला व पुस्तकालय भी कार्यालय के एक-एक आलमीरा में ही सीमित है. बदलाव हुआ, तो सिर्फ शिक्षकों में. एक-एक कर शिक्षक सेवानिवृत्त या ट्रांसफर होते गये. दो साल पहले तक इस स्कूल के प्राचार्य रहे सुरेंद्र मंडल को भी शिक्षा विभाग ने प्रोन्नत कर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बना दिया है. मात्र चार नियोजित शिक्षकों के सहारे स्कूल चल रहा हैं. इनमें से एक राजेश कुमार प्राचार्य के प्रभार में हैं. हालांकि, स्कूल में प्राचार्य के अलावा 11 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में अंगरेजी, इतिहास, संस्कृत व नागरिक शास्त्र विषय के एक-एक नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं. इसी प्रकार प्लस्-टू के विभिन्न विषयों में 20 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, पर कार्यरत हैं मात्र नौ शिक्षक. इनमें गणित, रसायन शास्त्र, भौतिकी, मनोविज्ञान उर्दू, संस्कृत व दर्शनशास्त्र विषय के एक भी शिक्षक नहीं हैं. बावजूद स्कूल में 800 से अधिक छात्र-छात्राओं का नामांकन है. नौवीं में 201 व 10वीं में 211 स्टूडेंट्स हैं. शेष 11वीं व 12वीं में नामांकित हैं. एक साथ 50 फीसदी भी बच्चों के आने पर स्कूल में बैठने की जगह मिलना भी संभव नहीं हाे पता है. इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले की शिक्षा व्यवस्था कैसी है?सीमित संसाधनों में बेहतर करने का प्रयाससीमित संसाधनों में बेहतर उपलब्धि हासिल करने की कोशिश की जाती रही है. सभी शिक्षकों के सहयोग से वर्गों का संचालन किया जाता है. अर्थशास्त्र के शिक्षक गणित भी पढ़ाते हैं. इसी प्रकार अन्य शिक्षकों से विषय से हट कर काम लिया जाता है.राजेश कुमार, प्रभारी प्राचार्य, प्लस टू राजकीय उच्च विद्यालय नवस्थापित, गया.

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