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तड़प रहा मरीज, पर मेडिकल बेपरवाह
गया : करीब 20 दिन बाद भी मेडिकल अस्पताल में बेलागंज प्रखंड के कुरीसरा गांव के रहनेवाले मुनारिक मांझी के पैर ऑपरेशन नहीं किया जा सका है. अस्पताल के हड्डी विभाग के बेड नंबर-12 पर पड़ा मुनारिक इलाज की बांट जोह रहा है. अस्पताल के कर्मचारियों ने मुनारिक को कहा है कि यहां पर उसका […]
गया : करीब 20 दिन बाद भी मेडिकल अस्पताल में बेलागंज प्रखंड के कुरीसरा गांव के रहनेवाले मुनारिक मांझी के पैर ऑपरेशन नहीं किया जा सका है. अस्पताल के हड्डी विभाग के बेड नंबर-12 पर पड़ा मुनारिक इलाज की बांट जोह रहा है. अस्पताल के कर्मचारियों ने मुनारिक को कहा है कि यहां पर उसका सही इलाज नहीं हो सकेगा. प्राइवेट अस्पताल में ही उसका सही इलाज हो सकेगा. जबकि, हड्डी रोग विभाग में भरती इस मरीज के परिजन से ऑपरेशन में लगनेवाले सामान भी मंगवाये गये हैं. अब अस्पताल प्रशासन मुनारिक के ऑपरेशन में टाल-मटोल कर रही है. मुनारिक के पास अब इतने पैसे भी नहीं है कि वह अपना व अपने परिजन के भोजन का इंतजाम कर सके.
जानकारी के अनुसार, कुरीसरा गांव के रहनेवाले मुनारिक मांझी का दायां पैर गत 26 अक्तूबर को घर से शौच जाने के दौरान गिर जाने के कारण टूट गया. इसके बाद गया शहर के जीबी रोड स्थित एक प्राइवेट डॉक्टर के यहां मुनारिक मांझी ने इलाज करवाया. तीन हजार रुपये खर्च हुए. इलाज के लिए पैसों का जुगाड़ नहीं होने से मुनारिक गत 28 अक्तूबर को मगध मेडिकल अस्पताल में भरती हो गया. यहां पर 20 दिन गुजर जाने के बाद भी सिर्फ प्रारंभिक इलाज ही किया जा सका है, जबकि ऑपरेशन के कई डेट दिये गये उसके बाद भी उसके पैर का ऑपरेशन नहीं किया जा सका है. दो दिन पहले मरीज के परिजन को अस्पताल के कर्मचारी ने दवा लाने को कहा. दवा में रोमोमैक सेट (क्लोज वॉन सेक्शन सेट, रामसंस कंपनी का) मंगाया गया, जिस पर 573 रुपये मूल्य अंकित है, पर अनपढ़ होने के कारण मुनारिक से इस रोमाेमैक सेट के लिए 1300 रुपये लिये गये.
मुझे किया जा रहा बदनाम
हड्डी विभाग में भरती मुनारिक को दवा मैंने नहीं लिखी है. मुझे बदनाम किया जा रहा है. मरीज आर्थिक रूप से कमजोर है. अस्पताल में इमेजिंग मशीन खराब पड़ी है. इस कारण मरीज को ट्रैक्शन सेट लगाया जायेगा. अस्पताल में कभी भी किसी मरीज को प्राइवेट में जाने की सलाह नहीं दी जाती है. अस्पताल में मौजूद कुछ दलाल किस्म के लोग अपना स्वार्थ साधना चाहते हैं.
डॉ विनोद कुमार, चिकित्सक सह वार्ड प्रभारी, हड्डी रोग विभाग
मामला गंभीर, जांच होगी
अगर अस्पताल से बाहर से दवा मंगा कर ज्यादा पैसा वसूला गया है, तो यह गंभीर मामला है. वार्ड प्रभारी चिकित्सक के आने के बाद इसकी जानकारी ली जायेगी. गरीब हो या अमीर, सभी का अस्पताल में समान भाव से इलाज किया जाता है.
डॉ सुधीर कुमार सिन्हा, अधीक्षक, मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल
पति मरे या बचे, यहीं कराऊंगी इलाज
चार बेटियां हैं. परिवार का गुजार-बसर पति के दैनिक मजदूरी से होता था. पति के इलाज के लिए कर्ज लिया है. अब तो कर्ज देनेवाले भी नहीं हैं. पति का प्राइवेट में इलाज कराने में वह सक्षम नहीं है. पति मरे या बचे, इसी मगध मेडिकल अस्पताल में उनका इलाज कराऊंगी.
विशुनी देवी, मुनारिक की पत्नी
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