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हर वर्ष खाली रह जाती हैं सीटें
एएम कॉलेज के वोकेशनल कोर्स के प्रति छात्रों में रुचि नहीं गया : प्राइवेट व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के तड़क-भड़क, आकर्षण व अत्याधुनिक शिक्षण संसाधनों की उपलब्धता के कारण जहां मारामारी है, वहीं सरकारी व्यावसायिक संस्थानों में लगातार स्टूडेंट्स की कमी होती जा रही है. सरकारी संस्थानों के प्रति छात्र-छात्राओं की अरुचि का मुख्य कारण इन […]
एएम कॉलेज के वोकेशनल कोर्स के प्रति छात्रों में रुचि नहीं
गया : प्राइवेट व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के तड़क-भड़क, आकर्षण व अत्याधुनिक शिक्षण संसाधनों की उपलब्धता के कारण जहां मारामारी है, वहीं सरकारी व्यावसायिक संस्थानों में लगातार स्टूडेंट्स की कमी होती जा रही है. सरकारी संस्थानों के प्रति छात्र-छात्राओं की अरुचि का मुख्य कारण इन संस्थानों के छात्रों का कैंपस सेलेक्शन का अभाव व उपेक्षा माना जा रहा है.
अनुग्रह मेमोरियल (एएम) कॉलेज के वोकेशनल कोर्स में भी यही हाल है. छात्रों की अरुचि के कारण ही आधे से अधिक सीटें खाली रह जाती हैं. वोकेशनल कोर्स बीसीए में 120, एमबीए में 120, बीएससी आइटी में 60 सीटें विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित की गयी हैं. ये सीटें कभी भर नहीं पातीं.
इनके अलावा कॉलेज में बायोटेक की पढ़ाई चालू करने की भी अनुमति मिली थी, लेकिन एक भी स्टूडेंट ने नामांकन लेने में रुचि नहीं दिखायी.
गेस्ट फैकल्टी के सहारे पढ़ाई लिखाई : जब से यहां वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई शुरू हुई है, तब से यहां आमंत्रित शिक्षक (गेस्ट फैकल्टी) के सहारे ही पढ़ाई-लिखाई चल रही है. अब तक स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है.
पता चला है कि मगध विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी कॉलेजों में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सीट बंटवारे में भेदभाव की नीति अपनायी जाती है. कई प्रमुख कॉलेजों में सीट से ज्यादा छात्रों का नामांकन ले लिया जाता है, बाद में विश्वविद्यालय द्वारा भी उन कॉलेजों को अनुमति प्रदान कर दी जाती है. एएम कॉलेज में हर बार आधे से अधिक सीटें खाली रह जाती हैं. इस कारण कॉलेज को भारी राजस्व की क्षति होती है.
परीक्षा में पारदर्शिता का अभाव: वोकेशनल कोर्स के निदेशक डॉ नंदकुमार सिंह ने बताया कि मुख्य वोकेशनल कोर्स में छात्रों की कमी का मुख्य कारण है विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित मुख्य परीक्षा में पारदर्शिता का अभाव. सभी कॉलेजों के परीक्षा सेंटर अलग-अलग जगहों पर होते हैं.
कुछ कॉलेजों के रिजल्ट बेहतर होते हैं. वोकेशनल कोर्सो में नामांकन में मात्र 16 दिन समय बच गये हैं, लेकिन सिर्फ बीसीए में अब दो छात्रों ने ही एडमिशन लिया है. बाकी सारे कोर्सो में सीटें यों ही खाली पड़ी हैं. पिछले वर्ष भी कॉलेज में बीसीए में 25, बीबीए में 45, बीएससी-आइटी में 20 सीटें खाली रह गया थीं.
गया : अनुग्रह मेमोरियल (एएम) कॉलेज में करीब 20 साल से कई विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई बंद है, जबकि यहां से हर साल स्नातक व कला संकाय के विभिन्न विषयों से करीब 700 छात्र-छात्राएं पासआउट होते हैं. स्नातकोत्तर की पढ़ाई नहीं होने से इन बच्चों को दूसरे पीजी कॉलेजों में जाना पड़ता है.
कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 1995 तक रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान व हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती थी. पर, मगध विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पर रोक लगा दी. कॉलेज प्रशासन ने पढ़ाई शुरू कराने के लिए कई बार विश्वविद्यालय प्रबंधन को पत्र लिखा, लेकिन कोई बात नहीं बनी.
हालांकि, कॉलेज में स्नातकोत्तर स्तर के प्राध्यापक नियुक्त हैं. कॉलेज के प्राचार्य डॉ साकेत बिहारी सिंह ने बताया कि स्नातकोत्तर की पढ़ाई प्रारंभ करने के लिए उन्होंने 2014 में विश्वविद्यालय प्रशासनको पत्र लिखा था. इसके बाद कुलपति व संबंधित अधिकारियों से भी मिले. लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ.
श्री सिंह ने बताया कि कॉलेज की मांग पर विश्वविद्यालय द्वारा कॉमर्स व भूगोल विषय की स्नातक स्तर की पढ़ाई की संस्तुति नहीं दी गयी. एएम कॉलेज में अन्य कॉलेजों की तुलना में बेहतर सुविधा है, लेकिन विश्वविद्यालय का कॉलेज की जरूरतों व मांगों पर ध्यान ही नहीं है.
गया : डॉ हरिश्चंद्र राठौर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के नये कुलपति होंगे. वह सीयूएसबी के वर्तमान कुलपति देवाशीष बनर्जी की जगह लेंगे. नये कुलपति श्री राठौर ने ‘प्रभात खबर’ के साथ मोबाइल फोन पर बातचीत में बताया कि वह सीयूएसबी के पटना कैंपस में बुधवार या गुरुवार को ज्वाइन करेंगे. फिलहाल, वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के हेड व मुख्य कुलानुशासक हैं.
उनके जिम्मे आंतरिक गुणवत्ता नियंत्रण प्रकोष्ठ का भी जिम्मा है. वह उत्तर प्रदेश के एटा जिले के रहनेवाले हैं. उन्होंने बताया कि बीएचयू में उनके जिम्मे जो काम है, उसे निबटा कर व बाकी काम अन्य पदाधिकारियों को सौंप कर सीयूएसबी के नये कामकाज का जिम्मा संभालेंगे.
उन्होंने बातचीत में यह भी बताया पटना में ज्वाइन करने के बाद शीघ्र ही गया कैंपस का दौरा करेंगे. हालांकि, उन्होंने सीयूएसबी की प्रशासनिक स्थिति पर कुछ भी बोलने से परहेज किया. उन्होंने कहा कि ऐसा काम किया जायेगा कि किसी को कोई शिकायत न रहे.
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