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‘देश में भावनात्मक एकता का अभाव’

गया: सत्ताधारी दलों के जातीय सम्मेलनों से जाति व्यवस्था समाप्त होने वाली नहीं है. वर्तमान में देश के बड़े नेता व अर्थशास्त्री जातिगत भेदभाव की चर्चा नहीं करते. लेकिन, हकीकत है कि क्रिकेट, युद्ध व फिल्मों को छोड़ कर देश में भावनात्मक एकता नजर नहीं आती है. ये बातें दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया, के […]

गया: सत्ताधारी दलों के जातीय सम्मेलनों से जाति व्यवस्था समाप्त होने वाली नहीं है. वर्तमान में देश के बड़े नेता व अर्थशास्त्री जातिगत भेदभाव की चर्चा नहीं करते. लेकिन, हकीकत है कि क्रिकेट, युद्ध व फिल्मों को छोड़ कर देश में भावनात्मक एकता नजर नहीं आती है. ये बातें दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया, के प्रोफेसर शांति भूषण ने कहीं. वह रविवार को मिर्जा गालिब कॉलेज में आयोजित बामसेफ के दूसरे जिला सम्मेलन के प्रबोधन सत्र में ‘जातिगत भेदभाव भारत की समृद्धि में बाधक’ विषय पर बोल रहे थे.
प्रबोधन सत्र की अध्यक्षता कर रहे मूल निवासी संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंजीनियर उमेश रजक ने कहा कि जितनी तेजी से मूल निवासी गुलामी की बेड़ियों को तोड़ आगे बढ़ रहे हैं, उतनी ही तेजी के साथ संवैधानिक प्रावधानों को समाप्त करने की तैयारी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था की चर्चा उनके पूर्वज भी करते आये हैं. उसी बात को विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने भी चिह्न्ति किया है. जाति व्यवस्था से पीड़ित लोग ही इसे समाप्त कर सकते हैं. अंतरजातीय विवाहों व सामूहिक भोज से जातीय व्यवस्था को कभी भी समाप्त नहीं किया जा सकता है. मगध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एक्यू अंसारी व अधिवक्ता मो. याहिया ने भी इस सत्र को संबोधित किया. विषय की प्रस्तावना बामसेफ के जिलाध्यक्ष सुरेश प्रसाद ने रखी. मंच का संचालन जिला सचिव डॉ राजेश कुमार ने किया.
भोजन के बाद प्रतिनिधि सत्र में ‘संगठन में लोकतंत्र हमारी समझ व व्यवहार की समालोचनात्मक समीक्षा’ विषय पर विभिन्न प्रखंडों से आये प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार रखे. इसमें एक बात मुख्य रूप से उभर आयी कि देश के कई राजनीतिक दलों, गैर-राजनीतिक संगठनों, कर्मचारी संघ व शिक्षक संघों में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है. उनमें सिर्फ व्यक्तिवाद का बोलबाला है. इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे बामसेफ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुधीर कुमार ने कहा कि देश में सच्च लोकतंत्र लाने के लिए व्यक्तिवाद को हतोत्साहित कराना होगा. संगठनों में आंतरिक लोकतंत्र ईमानदारी से लागू करना होगा. कार्यकर्ताओं में अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा व उद्देश्य के प्रति समर्पण होना जरूरी है. धन्यवाद ज्ञापन बामसेफ के वरीय कार्यकर्ता शंकर कुमार ने किया.

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