खालिक हुसैन परदेशी ने कहा ‘एक क्षण में सारे देश का नक्शा बदल गया, दहशत में हरेक आदमी घर से निकल गया’. मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा ‘नेम-धरम की बात कही, बढ़ा पाप धरती पर’. योगेश कुमार मिश्र ने कहा ‘आया भूकंप डोली धरती, डोल गये सब लोग’. नवीन कुमार ने कहा ‘कफन नोंच हड्डियां चबाने लगे लोग, कितना भी करो पाप धरती डोलती नहीं’.
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कवियों व कविताओं पर भी दिखा भूकंप का भय
गया. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में रविवार को काव्य चक्र के तहत काव्य संध्या का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने की. इस अवसर पर कई कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से भूकंप के भय को शब्दों के माध्यम से दिखाया. खालिक हुसैन परदेशी ने कहा ‘एक क्षण में सारे […]
गया. जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में रविवार को काव्य चक्र के तहत काव्य संध्या का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने की. इस अवसर पर कई कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से भूकंप के भय को शब्दों के माध्यम से दिखाया.
संतोष कुमार क्रांति ने कहा ‘आज फिर से प्रकृति का गुस्सा बोल रहा, भूकंप से जीवन का हर हिस्सा डोल रहा’ डॉ प्रकाश ने कहा ‘मच गया हड़कंप, फिर से आया भूकंप’. इनके अलावा गजेंद्र लाल अधीर, मुद्रिका सिंह, डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि, राजीव रंजन, संजीत कुमार, शिव प्रसाद सिंह, डॉ सुधांशु ने गंगा वर्णन, चंद्र देव प्रसाद केसरी, सुधीर कुमार सिंह व बैजू सिंह ने भी कविता का पाठ किया.
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