अध्यक्षता सम्मेलन के सभापति गोवद्र्घन प्रसाद सदय ने की. सभा में उपस्थित साहित्यकारों ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर अपने-अपने विचार रखे. डॉ रामकृष्ण ने कहा कि डॉ खेतान सम्मेलन के मुश्किल दिनों में साथ थे. उनकी भूमिका अहम रही. कानून के पंडित व साहित्य के ज्ञाता के रूप में ख्यातिलब्ध ऐसे पुरुष का जाना गया के लिए गहरा आघात है.
‘कवि भाव, कवि मन कविए लागी चिंता, काव्य जगत में ओइसहीं चमकतन, जइसे पेंटिंग अजंता’ के माध्यम से डॉ राकेश कुमार सिन्हा रवि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र ने ‘साहित्य मनीषी, मौन तपस्वी गया जिला के शान, युग-युग तक याद आयेंगे बैजनाथ खेतान’ से उन्हें याद किया. डॉ ब्रजराज मिश्र ने उन्हें भगवान शंकर की तरह त्यागी बताया. मणिलाल आत्मज ने कहा कि डॉ खेतान सम्मेलन के लिए नींव की ईंट थे. उनके जाने से साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है. अरुण हरलीवाल ने कहा कि डॉ खेतान का सम्मेलन से गहरा लगाव था. उनके जाने के बाद सम्मेलन ने एक बौद्धिक संरक्षक व अभिभावक खो दिया. शोकसभा में गोवर्धन प्रसाद सदय काफी भावुक दिख रहे थे. वह डॉ खेतान के सहपाठी हैं. उन्होंने कहा कि डॉ खेतान ने साहित्य के गंभीर अंगों पर गंभीरता से विचार किया. उन्होंने सामाजिक सरोकार से जुड़े कई काम किये. शोकसभा में श्री मारुति सत्संग के सचिव बालेश्वर शर्मा, रामावतार सिंह, मुद्रिका सिंह, सुमंत व अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे. सभा के अंत में डॉ खेतान की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा.