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मानपुर में श्रमिक हड़ताल, आठ हजार पावरलूम ठप

मानपुर: मानपुर के वस्त्र उद्योग के सामने श्रमिक हड़ताल का संकट आ गया है. इस वजह से सोमवार से ही उत्पादन ठप हो गया है. हड़ताली श्रमिकों का कहना है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जायेगी, वे हड़ताल पर रहेंगे. अर्थात हड़ताल अनिश्चतकालीन है. सोमवार की सुबह खांजहांपुर ऐतिहासिक सूर्य पोखरा के पास […]

मानपुर: मानपुर के वस्त्र उद्योग के सामने श्रमिक हड़ताल का संकट आ गया है. इस वजह से सोमवार से ही उत्पादन ठप हो गया है. हड़ताली श्रमिकों का कहना है कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जायेगी, वे हड़ताल पर रहेंगे. अर्थात हड़ताल अनिश्चतकालीन है. सोमवार की सुबह खांजहांपुर ऐतिहासिक सूर्य पोखरा के पास पावरलूम कामगार यूनियन के बैनर तले दिनेश कुमार तांती की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें श्रमिकों को मिलनेवाली अपर्याप्त मजदूरी का मसला चर्चा का मुख्य विषय था.

श्रमिकों का आरोप है कि उन्हें बढ़ती महंगाई के हिसाब से मजदूरी नहीं मिल रही है. श्रमिकों ने कहा है कि जब तक उनकी मजदूरी में 15 फीसदी का इजाफा नहीं होता, वे काम पर नहीं लौटेंगे. उधर, पावरलूम मालिक इनकी मजदूरी में पांच फीसदी इजाफे से ज्यादा की बात नहीं सोच रहे.

सरकार का व्यवहार भी है सौतेला ! : श्री तांती ने आरोप लगाया कि सरकार भी श्रमिकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. मानपुर में आठ हजार पावरलूम चल रहे हैं. एक भी मिल मालिक गरीब नहीं हैं, फिर भी इन्हें सरकार से करोड़ों की ऋण माफी मिल रही है. हर वर्ष लगभग यहां से आठ-दस छात्र आइआइटी व एनआइटी की पढाई के लिए चुने जा रहे हैं. लेकिन, आज तक एक भी मजदूर के लड़के को ,आइआइटी में अवसर नहीं मिला. क्या मजदूरों की माली हालत पर किसी भी संगठन या राजनेता का कोई ध्यान नहीं जाना चाहिए? यह भी कि मजदूर रात -दिन मशीन चलाते रहते हैं. इससे वायु-प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण के अलावा जल प्रदूषण का भी इन्हें सामना करना पड़ता है. मजदूरों को नित्य नयी-नयी बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है. उनका तो पूरा भविष्य ही दावं पर लगा होता है. पर, इस बाबत तो कभी पावरलूम मालिक सोचते नहीं.
रोज पांच लाख की होगी क्षति
पावरलूम बंद होने से मानपुर के वस्त्र उद्योग को रोज लगभग पांच लाख रुपये की क्षति होगी. अगर श्रमिक हड़ताल ज्यादा दिनों तक चल गयी, तो पावरलूम उद्योग को काफी नुकसान हो सकता है. वैसे, इस बीच पता चला है कि पावरलूम मालिकों ने भी एक बैठक की है. ये लोग श्रमिकों से बात करना चाहते हैं. पर, ये मजदूरी में केवल पांच फीसदी इजाफे की ही बात सोच रहे हैं.
वस्त्र उद्योग से जुड़े प्रकाशराम पटवा के मुताबिक, हड़ताल से वस्त्र निर्माण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. बुनकरों को भी चाहिए की श्रमिकों की बात भी सुन कर एक ऐसे निर्णय पर पहुंचें, जो दोनों पक्षों के लिए हितकर हो.

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