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.तो कहां बनेगा आइआइएम ?

बोधगया: शिक्षामंत्री वृषिण पटेल द्वारा आइआइएम संस्थान की स्थापना के लिए एमयू की जमीन उपलब्ध होने की घोषणा के बाद मगध विश्वविद्यालय में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. मगध विश्वविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ के साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी इसमें सहमति की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है. एमयू के […]

बोधगया: शिक्षामंत्री वृषिण पटेल द्वारा आइआइएम संस्थान की स्थापना के लिए एमयू की जमीन उपलब्ध होने की घोषणा के बाद मगध विश्वविद्यालय में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. मगध विश्वविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ के साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी इसमें सहमति की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है.

एमयू के शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमितेष प्रकाश ने कहा कि एमयू कैंपस की जमीन में एमयू के लिए विभाग व अन्य कार्य किये जायेंगे. उन्होंने कहा कि भविष्य में एमयू की जमीन पर एमयू के संस्थान खोले जायेंगे, तब एमयू के पास जमीन की कमी हो जायेगी. अध्यक्ष ने कहा कि एमयू की स्थापना 1962 में हुई थी.

तब से अब तक विश्वविद्यालय के एक्ट के हिसाब से और प्रोटोकॉल के तहत सिंडिकेट व सीनेट से अनुमोदन होने के बाद ही कोई बड़ा निर्णय लिया जाता रहा है, जबकि अब तक एमयू प्रशासन द्वारा आइआइएम की स्थापना के लिए एमयू की जमीन देने से संबंधित कोई भी लिखित आश्वासन नहीं दिया गया है. अध्यक्ष ने कहा कि इस बात से सभी को खुशी है कि बोधगया में देश के प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना की जा रही है, पर इसके लिए एमयू कैंपस के पास स्थित सरकारी जमीन का चयन किया जाना बेहतर होगा. जरूरत पड़ने पर कुछ जमीन एमयू कैंपस की भी ली जा सकती है.

एमयू प्रशासन कर चुका है इनकार : सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन द्वारा गया डीएम को भेजे गये पत्र, जिसमें कहा गया था कि आइआइएम की स्थापना के लिए मगध विश्वविद्यालय के सामने एमयू व सरकारी जमीन को चिह्न्ति कर इसकी सूचना 10 अक्तूबर तक भेजी जाये. 24 सितंबर, 2014 को भेजे गये पत्र के आलोक में नौ अक्तूबर को एमयू के प्रतिकुलपति प्रो कृतेश्वर प्रसाद ने प्रधान सचिव को लिखा कि भविष्य में एमयू कैंपस का विस्तार करने व अन्य विभागों की स्थापना करने को लेकर एमयू की वर्तमान जमीन को आइआइएम के लिए मुहैया नहीं करायी जा सकती है. हालांकि, तब भी एमयू के शिक्षक व कर्मचारी संघ द्वारा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव द्वारा भेजे गये पत्र का विरोध किया गया था और एमयू कैंपस की जमीन को आइआइएम के लिए उपलब्ध कराने से मना कर दिया गया था.

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