बोधगया: रविवार की सुबह हुए नौ धमाकों ने बोधगया में आम जनजीवन को बेपटरी कर दिया. न केवल बोधगया के निवासियों पर, बल्कि बाहर से भी बोधगया आये लोगों पर इसका असर स्पष्ट दिखा. रविवार की घटना के बाद पूरा दिन बीता नहीं कि बोधगया के लोगों में सामान्य होने की बेचैनी दिखने लगी. सुबह से ही. हर पांव बोधगया में महाबोधि मंदिर की दिशा में बढ़ना चाह रहा था. हर आंख मानो मंदिर की ओर काफी उम्मीद से देख रही हो. सबके सपने एक. वह यह कि कब बोधगया सामान्य हो, ताकि पूरी सहजता के साथ लोग पहले की तरह चैन से रह सकें.
रविवार की घटना के बाद सोमवार आते-आते लोगों में घुटन की स्थिति पैदा हो गयी. स्टार क्लब के सदस्य राकेश कुमार पप्पू ने सोमवार को कहा, ‘बहुत हो गया भाई. अब तो जीने दो. रोज की तरह रहने दो.’ वह बोधगया विस्फोट की जांच बाहर से आकर जुटे एक्सपर्ट की ओर देखते हुए मानो कहना चाह रहे थे कि जितना जल्द हो सके, ये (जांचकर्ता) अपना काम पूरा कर बोधगया को सामान्य बनने में मदद करें. पूछने पर उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में तो घुटन हो रही है. उनकी बातों को आगे बढ़ाते हुए एनजीओ एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कुमार ने कहा कि पहले कहां तो रात में भी बेधड़क चलते-फिरते थे. अब दिन में भी पाबंदी है. इससे मन ऊब गया है.
इस बीच बोधगया में विस्फोटों के खिलाफ सोमवार के बंद ने बोधगया की स्थिति को थोड़ा और जटिल बना दिया था. पहले लोग रविवार को विस्फोट के चलते परेशान हुए. जांच कार्यो में लगे पुलिसकर्मियों व अन्य एजेंसियों के चलते किनारे थे. सोमवार को बंद ने रही-सही कमी पूरी कर दी. आमलोगों हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे. व्यवसायी हसीमुल हक ने कहा, ‘पहले तो विस्फोट से परेशान हुए, अब बंद कसर निकाल रहा है. ऐसी स्थिति में भला आदमी क्या कमायेगा, क्या खायेगा?’ हालांकि, सोमवार दोपहर तक सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग मंदिर के आसपास मंडराने लगे थे. दरअसल सब जानना चाह रहे थे कि मंदिर फिर कब खुल रहा है?
वैसे, बोधगया की स्थिति सामान्य देखने के इच्छुक लोगों की मुरादें शाम होते-होते पूरी भी होने लगीं. पांच बजे बौद्ध भिक्षुओं का बड़ा दल मंदिर परिसर में घुसा. विशेष पूजा-अर्चना हुई. बोधि वृक्ष के नीचे शांति के लिए प्रार्थना हुई. प्रशासनिक अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए. फिर क्या था. इसके बाद अब आमलोगों की बारी थी. छह बजे आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का गेट खोल दिया गया. इससे बाहर से दर्शन के लिए आये लोगों को तो सुविधा हुई ही, स्थानीय लोगों ने भी राहत की सांस ली. उधर, महाबोधि मंदिर से सटे जगन्नाथ मंदिर परिसर में रथयात्र की व्यापक तैयारी जारी है. माना जा रहा है कि 10 जुलाई को प्रस्तावित रथयात्र पूरी तरह सामान्य वातावरण में ही पूरे जोश के साथ निकाली जायेगी. इसके लिए बंद के बीच ही जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन की ओर से रथयात्रा कार्यक्रम को लेकर प्रचार-प्रसार भी चलाया गया.