।। प्रसनजीत ।।
गया : दिनों-दिन शहर में बढ़ते पॉलीथिन के प्रयोग ने शहरवासियों को किस कदर मुश्किल में डाल दिया है, इसका अंदाजा शायद उन्हें नहीं है. हर रोज-गली मुहल्लों में प्लास्टिक जलाया जाता है. इन्हें नालियों व सड़कों पर भी फेंक दिया जाता है. थोड़ी सी सुविधा के मोह में लोगों ने अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है.
शहर के वरीय चिकित्सक और पर्यावरणविद ने प्रभात खबर से बातचीत के दौरान इस समस्या पर चिंता जतायी है. उनकी मानें, तो इस समाज में कई ऐसे लोग भी हैं, जो पॉलीथिन के नुकसान को जानते हुए भी उसका प्रयोग करते हैं.
* बच्चों को खतरा ज्यादा
प्लास्टिक कैंसर के खतरे को तेजी से बढ़ा रहा है. उन्होंने प्लास्टिक को कारसेनोजेनिक करार दिया है. उन्होंने बताया कि आये दिन लोग अनजाने में कूड़े के साथ प्लास्टिक भी जला देते हैं. इससे निकलने वाला हाइड्रोकार्बन आंख व फेफड़े में संक्रमण जैसी बीमारियों को जन्म देता है.
खासकर बच्चों में यह बीमारी तेजी से फैलती है. उन्होंने बताया कि अस्पताल कई ऐसे मामले भी आते हैं, जिनमें प्लास्टिक पर पैर फिसलने से लोगों के शरीर की हड्डियां टूट जाती हैं. वह बताते हैं कि हल्के प्लास्टिक, जो 40 माइक्रोन के नीचे के हैं. उन्हें कूड़ा उठानेवाले नहीं उठाते. ऐसे में वह सड़क पर पड़ा होता है. इस पर पैर लगने से लोग फिसल जाते हैं और हड्डियां टूट जाती हैं.
डॉ एसजेड अहसन, उपाधीक्षक, जयप्रकाश नारायण अस्पताल
* जहर हैं पॉलीथिन में खाने की चीजें
सावधान, अगर आप पॉलीथिन बैग में चाउमिन, डोसा, समोसा या दूध लेकर जा रहे हैं, तो समझ लीजिए आप जहर का सेवन करने जा रहे हैं. गरम पदार्थ प्लास्टिक में मिल कर शरीर में ‘ डाइऑक्सीन’ पैदा करता है, जो कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. डाइऑक्सीन मुख्य रूप से स्तन कैंसर को बढ़ावा देता है. इससे साफ है कि महिलाओं के लिए पॉलीथिन में गरम पदार्थ जानलेवा साबित हो सकता है. प्लास्टिक में रखे गरम पदार्थ लीवर संबंधी गंभीर बीमारियों को भी निमंत्रण देता है.
प्रोफेसर रंजीत कुमार वर्मा, रसायनशास्त्र विभाग, मगध विश्वविद्यालय , बोधगया
* प्लास्टिक से जुड़े कई अन्य खतरे
प्रो वर्मा बताते हैं, पॉलीथिन बैग ही नहीं, प्लास्टिक के अन्य उत्पादों से भी बड़ा नुकसान है. उनके अनुसार, अक्सर लोग गाड़ी में सफर करने के दौरान प्लास्टिक की बोतल में पानी रख लेते हैं, लंबे समय तक इसका सेवन करते हैं. ऐसा करने से बचना चाहिए. क्योंकि गाड़ी के अंदर गरम वातावरण में प्लास्टिक की बोतल से डाइऑक्सीन निकलता है, जो कैंसर को दावत देता है. इतना ही नहीं पानी भरे प्लास्टिक की बोतल को अधिक देर तक फ्रिज में रखने से भी डाइऑक्सीन बनने की आशंका रहती है.