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अब 139 कोचिंग पर नजर
गया : इनकम टैक्स (आय कर) चोरी कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचानेवाले कोचिंग संस्थानों पर विभाग द्वारा शिकंजा कसने का सिलसिला जारी है. शहर के नामी-गिरामी तीन कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई करने के बाद इनकम टैक्स के अधिकारियों को बड़ी सफलता मिली है. इससे उत्साहित होकर अब इनकम टैक्स की नजर शहर के अन्य […]
गया : इनकम टैक्स (आय कर) चोरी कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचानेवाले कोचिंग संस्थानों पर विभाग द्वारा शिकंजा कसने का सिलसिला जारी है. शहर के नामी-गिरामी तीन कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई करने के बाद इनकम टैक्स के अधिकारियों को बड़ी सफलता मिली है. इससे उत्साहित होकर अब इनकम टैक्स की नजर शहर के अन्य 139 कोचिंग संस्थानों पर है. इन कोचिंग संस्थानों पर भी नकेल कसने के लिए इनकम टैक्स के अधिकारियों ने कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी है.
इनकम टैक्स कार्यालय के सूत्र के अनुसार, मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों द्वारा प्रति वर्ष लाखों व करोड़ों रुपये अजिर्त किये जा रहे हैं.
इस आधार पर इनकम टैक्स के अधिकारियों ने शहर के 142 कोचिंग संस्थानों को आयकर के नियमों का पालन करने से संबंधित नोटिस भेजा था. लेकिन, कोचिंग संस्थानों ने इस नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया. कुछ कोचिंग संस्थान के संचालक नोटिस मिलने के बाद आयकर कार्यालय को चक्कर लगाया, लेकिन टैक्स जमा नहीं किया, जो इनकम टैक्स अधिकारियों को नागवार गुजरी.
उसी नोटिस के तहत आयकर के अधिकारियों ने बुधवार को शहर के गोदावरी मुहल्ले में मुख्यमंत्री आवास के पास शिवम क्लासेज, बिसार तालाब के पास प्रमोद मैथेमैथिक्स व विद्यार्थी कोचिंग संस्थानों का सर्वे किया. इस दौरान तीन करोड़ से अधिक रुपयों का अघोषित संपत्ति का खुलासा हुआ.
इससे इनकम टैक्स के खजाने में करोड़ों रुपये जमा होने की संभावना प्रबल हो गयी है. इधर, इस कार्रवाई से डरे कई कोचिंग संचालक शुक्रवार को इनकम टैक्स कार्यालय पहुंचे और लाखों रुपयों के चेक पदाधिकारियों को सौंपे. इससे उत्साहित होकर आयकर अधिकारियों ने गोपनीय तरीके से अन्य 139 कोचिंग संस्थानों की कुंडली खंगालने में जुट गये हैं. आयकर अधिकारियों का मानना है कि करीब चार-पांच वर्ष पहले सड़कों के किनारे दीवारों पर नीम-हकीम के द्वारा दाद, खुजली सहित गुप्त रोगों का इलाज कराने के विज्ञापन लिखे रहते थे. लेकिन, अब उन दीवारों पर सिर्फ कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन नजर आते हैं.
नगर निगम को लाखों रुपये टैक्स देकर कोचिंग संचालक अपने-अपने संस्थानों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि कोचिंग संचालकों की कमाई प्रति माह लाखों में है और इनकम टैक्स देने के नाम पर कोचिंग संस्थानों की स्थिति नगण्य है.
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