गया : सरकारी अस्पतालों से जेनरिक दवाओं का काउंटर गायब हो गया है. अब डॉक्टर अगर बाहर की दवाएं लिखते हैं, तो मरीज या उनके परिजनों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती है. सरकार ने जेनरिक दवाओं की बदौलत लोगों पर बोझ कम करने का प्रयास किया था, लेकिन इन दुकानों पर अब ताला लग गया है. हालांकि, जन औषधि केंद्र के नाम से अस्पतालों में दुकानें खोलने की योजना भी सरकार द्वार बनायी गयी है. लेकिन, अब तक महज बेलागंज पीएचसी में जन औषधि केंद्र खोलने का मामला फाइनल हुआ है.
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अस्पतालों में नहीं मिल रही जेनेरिक दवा, लोगों को खरीदनी पड़ रही महंगी दवाएं
गया : सरकारी अस्पतालों से जेनरिक दवाओं का काउंटर गायब हो गया है. अब डॉक्टर अगर बाहर की दवाएं लिखते हैं, तो मरीज या उनके परिजनों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती है. सरकार ने जेनरिक दवाओं की बदौलत लोगों पर बोझ कम करने का प्रयास किया था, लेकिन इन दुकानों पर अब ताला […]
गया जिले में सबसे अधिक मरीजों की संख्या मगध मेडिकल अस्पताल में रहती है. यहां हर दिन हजार से 1200 मरीज इलाज को पहुंचते हैं. यहां पर बिहार के कई जिलों के अलावा झारखंड से भी मरीज आते हैं. यहां जेनरिक दवा दुकान खोलने के लिए प्रक्रिया अब तक पूरी ही की जा रही है. प्रभावती में ज्यादातर गर्भवती महिलाएं व जयप्रकाश नारायण में लगभग बीमारी के इलाज के लोग पहुंचते हैं.
नहीं मिलती मरीजों को सारी दवाएं
अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा लिखी गयीं दवाओं में सारी दवाएं अस्पताल में नहीं मिलती. मरीज को कुछ दवा बाहर से खरीदनी होता है. मगध मेडिकल के आउटडोर में 76 दवा रहनी चाहिए. लेकिन, यहां 54 दवाएं ही हैं.
यहां इनडोर में 113 दवाएं होनी चहिए, लेकिन, 89 दवाएं ही है. प्रभावती अस्पताल में 100 से ऊपर दवाएं होनी चाहिए. लेकिन, यहां इन्डोर में 78 व आउटडोर में महज 32 दवाएं है. यही हाल जयप्रकाश नारायण अस्पताल का है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नीलेश कुमार बताते हैं कि जेनरिक दवा की दुकान होने से लोगों को कम दाम पर दवा मिल जाती थी. सरकार जन औषधि केंद्र खोलने का प्रस्ताव लायी है. इसके प्रति दुकानदार रुचि नहीं दिखा रहे हैं. सिर्फ बेलागंज अस्पताल का ही मामला फाइनल होने की स्थिति में है.
मजबूरी में लोगों को दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है. इधर, मगध मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद कहते हैं कि जेनरिक दवा दुकान खोलने के लिए प्रस्ताव पारित कर लिया गया है. ऐसे अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज को यहां उपलब्ध दवाएं दी जाती है. कभी-कभी उन्हें बाहर से दवा लानी पड़ती है. इसकी कमी भी जल्द दूर हो जायेगी.
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