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नगर निगम : सियासी हलचल तेज, जोड़-तोड़ शुरू

गया: डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ जाने के बाद नगर निगम में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं. डिप्टी मेयर पक्ष के पार्षद उनके लिए विश्वास मत हासिल करने के जुगाड़ में लग गये हैं. गुप्त रूप से ही सही, पर संपर्क अभियान तेज हो गया है. यों कहें हर हाल […]

गया: डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ जाने के बाद नगर निगम में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं. डिप्टी मेयर पक्ष के पार्षद उनके लिए विश्वास मत हासिल करने के जुगाड़ में लग गये हैं.

गुप्त रूप से ही सही, पर संपर्क अभियान तेज हो गया है. यों कहें हर हाल में कुरसी बचाने की कोशिश जारी है. पार्षदों के कई ग्रुप आपस में चर्चा में जुटे हैं.

बेऊर जेल से भी संपर्क साधे हुए हैं. इधर, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मेयर विभा देवी के खिलाफ 31 पार्षदों ने हस्ताक्षर कर अविश्वास प्रस्ताव तैयार कर लिया है. बुधवार को पार्षदों का यह ग्रुप अपना पत्र सौंप सकता है. इस पूरे राजनीतिक खेल में जो सबसे दिलचस्प होगा, वह यह कि कई ऐसे पार्षद हैं, जिन्होंने मेयर व डिप्टी मेयर दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर मुहर लगायी है. मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ जाने के बाद ही सभी नाम साफ हो पायेंगे. इससे यह तो स्पष्ट हो जायेगा कि आखिर कितने पार्षद ऐसे हैं, जो दोनों शीर्ष नेतृत्व से नाराज हैं.

मोहन का साथ देनेवाले भी दोषी : इधर, डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में मुख्य भूमिका निभानेवाले पार्षद चितरंजन प्रसाद वर्मा ने राजनीति को और गरमाने का प्रयास किया है. उन्होंने बयान जारी कर कहा कि मोहन श्रीवास्तव को डिप्टी मेयर के तौर पर बचानेवाले लोग अपराध को शह देनेवाले माने जायेंगे. समाज की नजर में वह भी दोषी ही होंगे. उन्होंने कहा कि मोहन श्रीवास्तव पर कई मामले चल रहे हैं. ऐसे में उनकी छवि के साथ-साथ निगम और गया शहर की भी छवि खराब हुई है. ऐसे व्यक्ति को नगर सरकार के उच्च पद पर होना ही नहीं चाहिए.

बैठक पर जिरह शुरू : सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए 17 जून को बुलायी गयी. बैठक पर भी जिरह शुरू हो गयी है. नगर आयुक्त ने मेयर को 17 की बैठक कराने में कानूनी अड़चन की बात कही है. दरअसल, डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव के साथ ही दो अन्य पार्षद विनोद मंडल व जितेंद्र वर्मा भी पटना के बेऊर जेल में बंद हैं. ऐसे में इस बैठक में शामिल होने के लिए उन्हें पत्र भेजने और उनकी उपस्थिति के संदर्भ में कई प्रक्रियाएं हो सकती हैं. इसमें समय लग सकता है. इसके अलावा नियमों के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के लिए पत्र आने के बाद सात दिन के अंदर तमाम पार्षदों को बैठक के लिए पत्र निर्गत किया जाता है. इसके 15 दिन के अंदर बैठक बुलायी जाती है. मेयर की ओर से नौ जून को बैठक बुलाने संबंधी निर्देश दिया गया था, उन्होंने 17 जून को बैठक कराने की बात की है. सारी प्रक्रियाओं के बाद भी 17 को बैठक बुलाना संभव नहीं हो सकेगा. इस वजह से ही बैठक की तिथि बढ़ाये जाने की बात नगर आयुक्त ने की है. मेयर विभा देवी ने बताया कि नगर आयुक्त ने कहा है कि समस्याओं के संबंध में बुधवार को विचार-विमर्श के बाद बैठक की तिथि फिर से तय की जायेगी.

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