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मालिक व नौकर के बीच की कड़ी है शोषण : नवीनचंद्र

गया: लंबे समय तक आइआइटी खड़गपुर से जुड़े व वीवी गिरी शोध संस्थान, नयी दिल्ली के पूर्व उपनिदेशक प्रो नवीनचंद्र ने कहा कि शोषण, मालिक व नौकर के बीच का कड़ी है. तब तक शोषण जारी रहेगा, जब तक मालिक व नौकर के बीच संबंध कायम रहेगा. वह, शहर के हादी हाशमी प्लस टू स्कूल […]

गया: लंबे समय तक आइआइटी खड़गपुर से जुड़े व वीवी गिरी शोध संस्थान, नयी दिल्ली के पूर्व उपनिदेशक प्रो नवीनचंद्र ने कहा कि शोषण, मालिक व नौकर के बीच का कड़ी है. तब तक शोषण जारी रहेगा, जब तक मालिक व नौकर के बीच संबंध कायम रहेगा.

वह, शहर के हादी हाशमी प्लस टू स्कूल में ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआइएसएफ) के बैनर तले आयोजित राज्यस्तरीय प्रशिक्षण के तीसरे दिन ‘श्रम व पूंजी के संबंध’ विषयक के विभिन्न पहलुओं पर रेखांकित करते हुए कही.

उन्होंने कहा कि मजदूरों का एकमात्र पूंजी उनकी एकता होती है. इस एकता से पूंजीपति वर्ग सबसे ज्यादा भयभीत होते हैं. यही कारण है उनका ध्यान मजदूरों की एकता को विखंडित करने में केंद्रित होता है. उन्होंने कहा कि हर समाज में शोषितों की तादाद अधिक व शोषकों की तादाद कम होती है. पूंजी के अभाव में मजदूर वर्ग अपनी श्रम-शक्ति के बल पर पूंजीपतियों की हालात दिन दूनी रात चौगुनी करने में अहम भूमिका निभाते हैं. पर, उनकी हालात हमेशा दयनीय बनी रहती है. उन्होंने विलुप्त होते गिद्ध व कौआ का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से जंगलों की कटाई हो रही है और नदियों के किनारे फैक्टरियां खोली जा रही है. इससे मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. उन्होंने समाजवाद को बेहतर विकल्प बताते हुए छात्र-छात्रओं से संगठित हो संघर्ष करने का आह्वान किया.

प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में ‘वर्गीय समाज व शिक्षा नीति’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए दोहरी शिक्षा नीति पर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि एक ओर अमीर वर्ग के बेटे-बेटियों के लिए चमचमाती सुविधा संपन्न स्कूल है, तो दूसरी ओर गरीब बच्चों के लिए सुविधा विहीन स्कूल. ऐसे में आखिर कैसे मिटेगी विषमता? वर्गीय समाज में निर्णायक भूमिका बहुसंख्यक आमजन की नहीं है. सरकार हमेशा इस बात को लेकर सचेत रहती है कि जनता को भ्रम में रखने के लिए अपना जन-पक्षी स्वरूप प्रस्तुत करे. ताकि उग्र जनता को शांत कर समझौता वादी बनाया जा सके.

उन्होंने कहा कि खास कर तब तक व्यवस्था को खतरा नहीं होती, तब तक लंपट छात्र संगठन सक्रिय भूमिका में रहते हैं. एआइएसएफ जैसे छात्र संगठन के सक्रिय होने की स्थिति में, छात्रों को अलग-थलग करने के लिए मुकदमा होना शुरू हो जाता है. उन्होंने नये बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम पर बोलते हुए कला कि अब कुलपति को आइएएस के अंदर में काम करना पड़ेगा. इन तमाम खाई को समान स्कूल प्रणाली लागू कर ही पाटा जा सकता है. मौके पर एआइएसएफ के राज्याध्यक्ष परवेज आलम, राज्य सचिव सुशील कुमार, राज्य उपाध्यक्ष निखिल कुमार झां, राज्य कोषाध्यक्ष हरेंद्र कुमार पंडित, अरुण, आरती, जिशान, कुंदन, राकेश, अकील, मेराज, मणि, अनुष्का, गौरी शंकर, महेश, गौतम, विश्वजीत, बिट्ट, राहुल, मोइज समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्रएं व स्थानीय कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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