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अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर, एंबुलेंस के इंतजार में जमीन पर तड़पती रही महिला

गया : यह कितनी शर्म की बात है कि अस्पताल में मौजूद संसाधनों के बावजूद उसका कोई लाभ समय पर किसी को नहीं मिलता है. ऐसी स्थिति किसी और अस्पताल की नहीं बल्कि जिले के सबसे बड़ अस्पताल की है. मंगलवार को अस्पताल के मुख्य द्वार पर एक वृद्ध महिला बेइंतहा दर्द से जमीन पर […]

गया : यह कितनी शर्म की बात है कि अस्पताल में मौजूद संसाधनों के बावजूद उसका कोई लाभ समय पर किसी को नहीं मिलता है. ऐसी स्थिति किसी और अस्पताल की नहीं बल्कि जिले के सबसे बड़ अस्पताल की है. मंगलवार को अस्पताल के मुख्य द्वार पर एक वृद्ध महिला बेइंतहा दर्द से जमीन पर तड़पती और कराहती रही पर अस्पताल प्रबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ा. दर्द से तड़प रही महिला पर जनर पड़ते ही अस्पताल के डाॅक्टर और कर्मचारी नजरें फेर कर आगे बढ़ जा रहे थे. अस्पताल के चिकित्सकों व कर्मचारियों की यह गैर जिम्मेदाराना हरकत लापरवाही नहीं बल्कि किसी अपराध से तनिक भी कम नहीं है.

जानकारी के अनुसार औरंगाबाद की संफुला देवी को किसी वाहन से धक्का लग गया था. उनके पुत्र संजय सिंह उन्हें लेकर मगध मेडिकल काॅलेज आये थे. उन्होंने अपनी मां को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती भी कराया. यहां के चिकित्सकों ने स्थिति गंभीर बताते हुए मरीज को पटना रेफर कर दिया. संजय के मुताबिक उन्होंने वार्ड में कर्मचारियों से पूछा कि मरीज को कैसे ले जाना है तो किसी ने कुछ भी जवाब नहीं दिया. इस पर वह स्ट्रेचर की तलाश में जुट गये पर स्ट्रेचर अस्पताल की ओर से मुहैया नहीं कराया गया.
इस बीच कर्मचारी बार-बार आ कर मरीज को ले जाने को दबाव भी बनाने लगे. यही नहीं अस्पताल के कर्मचारी संफुला देवी को उठा कर पोर्टिको के मेन गेट के पास ले आये और जमीन पर ही लिटा कर मौके से चलते बने. संजय का कहना है कि लगभग 20 मिनट तक मेन गेट पर वह खड़ा रहे पर एंबुलेंस नहीं आया. इस दौरान प्रभात खबर टीम की नजर उन पर पड़ी. पूछताछ के ही दौरान परिवार के लोगों ने आपबीती सुनायी. इस बीच दूसरे मीडिया हाउस के भी लोग वहां पहुंच गये.
मीडिया के हस्तक्षेप के बाद मिला एंबुलेंस
पहले इन्कार किया, फिर दिया नोटिस
अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ पीके अग्रवाल किसी मरीज को देखने आये पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को बाहर तक छोड़ने आये. इस दौरान पूर्व सीएम ने भी महिला को देखा और आगे निकल गये. इसके बाद उपाधीक्षक भी अपने चैंबर में चले गये. मीडिया कर्मियों ने रेफर की गयी महिला के परिजनों को हुई परेशानी के बाबत पूछा गया तो उन्होंने इन्कार कर दिया. कहा कि अस्पताल का एंबुलेंस किसी मरीज को छोड़ने गया था, ट्राॅली-स्ट्रेचर भी इंगेज था. मरीज के परिवार को थोड़ी देर के लिए वार्ड में इंतजार करने को कहा गया था वे नहीं माने और मरीज को लेकर बाहर चले गये. उपाधीक्षक ने कहा कि इसके बावजूद इसके उन्होंने इमरजेंसी वार्ड में उस वक्त ड्यूटी पर रहे तमाम कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि बीती एक अगस्त को भी गंभीर रूप से घायल एक मरीज को इमरजेंसी वार्ड में लाने के लिए कोई स्ट्रेचर नहीं मिला था.
डीएम की सख्ती के बाद अनुशासित दिखे पुलिसकर्मी
दुकानों को हटाने में रौंद दिये फल व मिठाई
मंगलवार को सिकरिया मोड़ बस स्टैंड के पास अतिक्रमण हटाने के दौरान दुकानों में रखने फल व मिठाइयों को भी रौंद दिया गया. दुकानों में रखे फलों को इस तरह से बर्बाद होता देख दुकानदार अधिकारियों से कुछ देर का वक्त देने का आग्रह करने लगे. पहले तो अधिकारी नहीं माने, लेकिन फिर उन्हें हटा लेने का वक्त दिया. गौरतलब है कि बस स्टैंड के बाहर बड़ी संख्या में दुकानें हैं. ये सभी सरकारी जमीन पर कब्ज कर बनायी गयी हैं. स्थिति यह है कि इन दुकानों की वजह से सड़क किनारे फुटपाथ कम हो गया है और जो बचा है, उसे आॅटोवालों ने घेर रखा है. ऐसी स्थिति में उस सड़क पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. यही हाल मगध मेडिकल काॅलेज रोड में भी है. घुटिया मोड़ से लेकर मेडिकल काॅलेज गेट तक कई अस्थायी दुकानें बनी हुई हैं. इनकी वजह से मेडिकल काॅलेज जानेवाले एंबुलेंस कई बार जाम में फंस जाते हैं. इस संबंध में मेडिकल काॅलेज प्रशासन ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को लिखित जानकारी भी दी है. अतिक्रमण हटाओ अभियान में इस रोड को भी शामिल किया गया है. यहां के भी दुकानदारों को जल्द सामान हटा लेने को कहा गया.
एसएसपी के पास पहुंचे घायल लोग
इधर,पिछले कुछ दिनों में पिटाई के दौरान घायल हुए कुछ लोग एसएसपी राजीव मिश्र के पास पहुंचे. जिला उपभोक्ता फोरम के कर्मचारी दिवाकर कुमार व सामाजिक कार्यकर्ता शमशीर खान ने बताया कि मंगलवार को उन लोगों ने एसएसपी से मुलाकात कर अपनी समस्याएं सुनायीं. दोनों लोगों ने बताया कि एसएसपी ने बहुत गंभीरता से उनकी बातें सुनीं और डायरी में नोट भी किया. उन लोगों ने बताया कि एसएसपी ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का भी आश्वासन दिया है. दिवाकर कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए.

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