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शहर में 30 से अधिक प्याऊ खराब पिंडदानियों को होगा कष्ट

बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठक में उठती रही है मांग हर बार जल्द बन जाने की बात कह कर टालते हैं मामला गया : करीब एक महीने बाद पितृपक्ष मेला शुरू होनेवाला है पर मेला क्षेत्र में पिंडदानियों की मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराये जाने के लिए की जानेवाली तैयारी सतह से कोसों दूर है. अचरज […]

बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठक में उठती रही है मांग

हर बार जल्द बन जाने की बात कह कर टालते हैं मामला
गया : करीब एक महीने बाद पितृपक्ष मेला शुरू होनेवाला है पर मेला क्षेत्र में पिंडदानियों की मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराये जाने के लिए की जानेवाली तैयारी सतह से कोसों दूर है. अचरज की बात है कि मेला क्षेत्र में लगाये गये प्याऊ खराब पड़े हैं पर उसे दुरुस्त करने की चिंता अबतक किसी को नहीं है. शहर के 53 वार्डों में विभिन्न जगहों पर लोगों के लिए लगाये गये प्याऊ को देखने वाला कोई नहीं दिख रहा है. 30 से अधिक जगहों पर महीनों से प्याऊ बंद हैं.
निगम से मिली जानकारी के अनुसार, शहर में 152 जगहों पर नगर निगम से प्याऊ बनाये गये हैं. प्याऊ की देखरेख के लिए ठेकेदार को जिम्मेदारी दी गयी है. लेकिन, मामला तब फंस जाता है जब ठेकेदार को सामान बदलना होता है. जल पर्षद से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि प्याऊ कई वर्ष पहले बनाये गये थे. कई जगहों पर बोरिंग फेल हो गयी है तो कई के पाइप जंग खाकर कर क्षतिग्रस्त हो गये हैं. ठेकेदार को सिर्फ मरम्मत करने के लिए कहा जाता है. खराब पाइप की मरम्मत करा कर प्याऊ सुचारु किया जाता है पर वह कुछ ही दिनों बाद खराब हो जाता है. निगम के बोर्ड व स्टैंडिंग की बैठकों में प्याऊ मरम्मत कराने की बात उठती है पर काम कुछ भी नहीं होता है.
इस संबंध में जल पर्षद के कार्यपालक अभियंता राकेश कुमार सिंह ने कहा कि प्याऊ खराब होने की स्थिति में उसे ठेकेदार से बनवाया जाता है. कभी अगर कीमती सामान बदलना होता है, तो खरीद कर निगम से ठेकेदार को मुहैया कराया जाता है. बंद पड़े प्याऊ का पितृपक्ष मेला से पहले ठीक करा लिया जायेगा.
बंद हैं एक सौ से अधिक चापाकल भी
शहर में 100 से अधिक चापाकल खराब पड़े हैं. मरम्मत का काम देख रहे ठेकेदार को वार्डों के कनीय अभियंता खराब पड़े चापाकल की सूची उपलब्ध कराते हैं. उसके बाद चापाकल बनाने में लगनेवाले सामान देने की जिम्मेदारी निगम का है. इससे जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि निगम में खराब पड़े चापाकल की सूची पहले तो समय पर कनीय अभियंता ही समय पर नहीं देते हैं. वार्डों के पार्षद ही इसकी सूची निगम कार्यालय में जमा करते हैं. इतना ही नहीं ठेकेदार को निगम द्वारा लगाये गये 750 चापाकल के ठीक करने की जिम्मेदारी है. बाकी के चापाकल शहर में विधायक कोटा या फिर पीएचइडी से लगाये गये हैं. हर बार ठेकेदार यह मामला भी उठाता है. 750 की जिम्मेदारी मिलने के बाद 1200 चापाकल बनाने के लिए दबाव बनाया जाता है. इस पर अधिकारी अगली बार सब कुछ ठीक कर लेने की बात कह कर टाल जाते हैं. पितृपक्ष मेला नजदीक होने के कारण बंद पड़े चापाकल के कारण यात्रियों को परेशानी उठानी होगी.
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