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सावन के महीना आएल खेतवा में जान, चल गाेरिया…

गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या 223 का आयोजन सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र की अध्यक्षता में हुआ. इसका संचालन डॉ राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’ ने किया. संतोष कुमार सिन्हा ने कहा ‘सागर से है गहरा, अंबर से है ऊंचा बाबा प्यार तुम्हारा…’ चन्द्रदेव प्रसाद केशरी ने धान रोपनी की बात कही […]

गया : गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में काव्य संध्या 223 का आयोजन सुरेंद्र सिंह सुरेंद्र की अध्यक्षता में हुआ. इसका संचालन डॉ राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’ ने किया. संतोष कुमार सिन्हा ने कहा ‘सागर से है गहरा, अंबर से है ऊंचा बाबा प्यार तुम्हारा…’ चन्द्रदेव प्रसाद केशरी ने धान रोपनी की बात कही ‘सावन के महीना आएल खेतवा में जान, चल गोरिया रोपे रोपनी संग धान…
’ संजीत कुमार ने कहा ‘सावन में आएल बरखा रानी कि अंगना भर आ गेलइ, चलल हई मस्त बयार की रिमझिम फुहार आ गेलइ…’ डॉ निरंजन श्रीवास्तव ने कहा ‘सावन का महीना चल रहा है, बाबा भोले पर जल चढ़ रहा है…’, खालिक हुसैन परदेसी ने कजरी गाया, ‘सुनी सुनायी मधुर मुरली तान मनमा करे परेशान, गावे परदेसी भी अइसे में कजरिया, बड़ा रे डर लागे सांवरे…’,
शिव बचन सिंह ने कहा ‘सारा सावन हरहर बम बोले, देख छटा सावन का कवि मुदित मन डोले…’ विजय कुमार शर्मा ने विरह गीत गाया ‘सैंया जाके बइठल ह बहरवा में, काहे छोड़ गइल तू घरवा में…’ विषधर शंकर ने गजल गाया ‘देखो गगन में काली घटा छायी है, बड़ी दूर से धीरे-धीरे चल कर पास आयी है…’, शिव प्रसाद मुखिया ने कजरी गाया ‘बूंद पड़े राजा संग में लेले चल, छतवा लगायो…’, डॉ राम परिखा सिंह ने गाया ‘सावन आया बादल लाया, झमाझम बूंदे बरसाया…’, डॉ सुल्तान अहमद ने कहा ‘ये है बरसात का मौसम सुहाने धरती तर लगे है, गजब माहौल है अहमद कलम भी ख़ंजर लगे है…’
डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने मुजफ्फरपुर की शर्मनाक घटना पर कहा ‘महिलाओं पर बढ़ते ही जा रहे अत्याचार, सभी जगह असुरक्षित नारी दुश्मन लगे सकल संसार…’ श्यामदत्त मिश्र ने व्यंग्य किया ‘तुम हम कुत्ताें से भी गये गुजरे हो, शर्मनाक घटना हुई भौंकते तक नहीं हो…’, जयप्रकाश सिंह ने इबादत कविता पढ़ी. यदुनंदन प्रसाद ने कहा ‘मैं पत्थर पर फूल खिला दूंगा, धरती पर आकाश बुला दूंगा…’ नवोदित कवि कौशल पंचाल ने गजल पढ़ी ‘उसने दिल को ऐसे छुआ है, जैसे खुद वो खुदा की दुआ है…’
मुंद्रिका सिंह ने कहा ‘आज देश में चल रही अजीब सी हवा है, बाजारों में जिसकी कहीं मिलती नहीं दवा है…’ इस माैके पर रणजीत रंजन, डॉ सुधांशु, कारू, संजू प्रसाद आदि ने भी अपनी कविताएं पढ़ीं. इस अवसर पर उपेंद्र सिंह, रमेश मिश्र मानव, विजय कुमार सिन्हा, जयराम सत्यार्थी, सुरेंद्र सौरभ सहित बड़ी संख्या में लाेग मौजूद थे. महामंत्री सुमंत ने सम्मेलन की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया.

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