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शिक्षा व समाज में गहरा संबंध

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय स्थित डॉ राधाकृष्णन सभागार में बीएड पाठ्यचर्या पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) एम इश्तियाक व शिक्षा संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ इसराइल खां ने दीप प्रज्वलित कर किया. कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति ने मगध विश्वविद्यालय में शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने […]

बोधगया: मगध विश्वविद्यालय स्थित डॉ राधाकृष्णन सभागार में बीएड पाठ्यचर्या पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) एम इश्तियाक व शिक्षा संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ इसराइल खां ने दीप प्रज्वलित कर किया.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति ने मगध विश्वविद्यालय में शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा के स्वरूप को समाज की आवश्यकताओं पर आधारित होना चाहिए. शिक्षा और समाज में गहरा संबंध है. शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन की कुंजी है. आज समाज के बदलते परिदृश्य व वैश्वीकरण के संदर्भ में शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन समय की मांग है. परंतु, नैतिक शिक्षा पर बल देने की आवश्यकता है, क्योंकि नैतिकता व्यक्तित्व विकास का एक महत्वपूर्ण अंग है. बिहार राज्य प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी से जूझ रहा हैं. ऐसे में शिक्षक प्रशिक्षण में महाविद्यालयों की भूमिका अहम है. च्वाइस वेस्ड क्रेडिट सिस्टम, सेमेस्टर सिस्टम व मूल्यांकन के नये मानक बीएड के विद्यार्थियों को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने में सहायक सिद्घ होगा. इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए उन्होंने डॉ इसराइल खां को बधाई भी दी. उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए साधनसेवी डॉ जीवीआर प्रसाद ने शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यचर्या में शिक्षा तकनीकी पर बल दिया व बदलते हुए परिवेश में शिक्षकों को कंप्यूटर व इंटरनेट के प्रयोग से रू-ब-रू होने की आशा की.

नैतिक शिक्षा पर दें बल
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ योगेन्द्र पांडेय (शिक्षा संकाय बीएचयू, वाराणसी) ने कहा कि पेपरों को अंकों से न जोड़ा जाये व व्यक्तित्व के विकास को ध्यान में रखते हुए भी कुछ पेपर होने चाहिए. डॉ बीके दूबे (हरिशचंद्र पीजी कालेज, वाराणसी) ने शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता बताया व नैतिक शिक्षा पर बल दिया. इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए डा़ एसए मोईन (निदेशक, दूरस्थ शिक्षा, एससीइआरटी, पटना) ने सेमेस्टर सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू करने की वकालत की. डॉ ज्ञानदेवमनी त्रिपाठी, (प्राचार्य, मैत्रिया कॉलेज ऑफ एजुकेशन, हाजीपुर) ने पाठ्यचर्या में संशोधन आमंत्रित करते हुए प्रतिभागियों से यह भी निवेदन किया कि जो परिवर्त्तन वह चाहते हैं उसका औचित्य भी बतायें.

उक्त कार्यशाला में मगध विश्वविद्यालय से संबद्य लगभग 60 बीएड कॉलेजों के प्राचार्य व उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया. उक्त कार्यशाला को बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, शिक्षा संकाय के एसोसिऐट प्रोफेसर डॉ कौशल किशोर व डॉ रिंकी ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में मंच का संचालन करते हुए डॉ धनंजय धीरज (असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षा विभाग, मगध विश्वविद्यालय बोधगया) ने पाठ्यचर्या विकास के संदर्भ में इस कार्यशाला को मील का पत्थर करार दिया.

धन्यवाद ज्ञापन डॉ पीके धल (प्राचार्य मगध विश्वविद्यालय, बोधगया) ने किया. इस अवसर पर विभाग के रामरतन पासवान, डॉ संजीव कुमार पांडेय, डॉ नरगीस नाज, रश्मि सिन्हा, मुर्सरत जहां, मुकेश कुमार, विद्या कुमारी व रिंकू कुमारी सिंह आदि उपस्थित थीं.

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