चिकित्सक व महिला कर्मियों की लापरवाही से हुई थी नवजात बच्ची की मौत
अधीक्षक ने भी जारी किया है कारण बताओ नोटिस
गया : प्रभावती अस्पताल में सोमवार की रात चिकित्सक व कर्मचारी की लापरवाही की वजह से हुई नवजात की मौत के मामले में अब क्षेत्रीय उप निदेशक विजय कुमार ने भी जांच के आदेश दे दिये हैं.
बुधवार की शाम जारी आदेश में उन्होंने कहा है कि इस घटना के लिए जिम्मेदारी तय कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी. प्रभावती अस्पताल के अधीक्षक डाॅ एसके चौधरी ने क्षेत्रीय उप निदेशक के आदेश के बाद डाॅ राम अजय कुमार, डाॅ शकुंतला नाग व डाॅ सुषमा वर्मा को लेकर कमेटी बना दी है. उन्होंने पूरे मामले में जांच कर रिपोर्ट मांगी है. इधर सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक डाॅक्टर, एएनएम समेत किसी भी चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी ने अपना स्पष्टीकरण नहीं सौंपा है. जवाब देने की बजाय ये लोग एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने में लगे हैं. हालांकि क्षेत्रीय उप निदेशक के हस्तक्षेप के बाद अब कार्रवाई भी तय मानी जा रही है.
गौरतलब है कि सोमवार को रामपुर थाना क्षेत्र के छोटू यादव ने अपनी गर्भवती पत्नी ममता देवी को अस्पताल में भर्ती कराया था. देर रात उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई. परिवार के लोगों ने एएनएम व दाई को सूचना दी लेकिन वह सभी सोती रहीं. किसी ने रिस्पांस नहीं लिया. ड्यूटी पर रहे डाॅ आलोक कुमार भी अस्पताल से गायब थे. इसी दौरान महिला का प्रसव हो गया और बच्ची की मौत हो गयी. इस घटना के बाद परिवार के लोगों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अस्पताल में हंगामा किया.
अस्पताल से हटा कर एएनएम स्कूल में भेजी गयी महिलाकर्मी
प्रभावती अस्पताल में मरीज को जबरन अल्ट्रासाउंड कराने के लिए दबाव बनाने के मामले में आरोपित चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी सुमित्रा देवी को अस्पताल ड्यूटी से हटा कर एएनएम स्कूल के मेस में भेज दिया गया है.
गुरुवार की शाम अस्पताल के अधीक्षक डाॅ एसके चौधरी ने इस संबंध में लिखित आदेश जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि उक्त मामले की जांच पूरी नहीं होने तक अस्थायी कार्रवाई के तहत उक्त चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को अस्पताल के सभी कामकाज से हटाया जाता है. वह शुक्रवार से एएनएम स्कूल में मेस का काम देखेगी. अधीक्षक ने इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक के कार्यालय में भी भेज दी है. सुमित्रा देवी के खिलाफ आगे की कार्रवाई उप निदेशक के कार्यालय से तय होगी. इससे पहले सुमित्रा देवी ने अपने स्पष्टीकरण में कई बहाने बनाये, लेकिन अधीक्षक ने सभी को निराधार बताया.
उन्होंने कहा कि अपने स्पष्टीकरण में सुमित्रा देवी ने प्रशासन को दिगभ्रमित करने का प्रयास किया है. गौरतलब है कि 21 जुलाई को मगध विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र की रहने वाली प्रमीला देवी ने अस्पताल मैनेजर से इस मामले में शिकायत की थी. उन्होंने बताया कि 18 जुलाई को वह अपनी गर्भवती बहन अमृता देवी के साथ अस्पताल आयी थी. यहां उन्होंंने डाॅ सुषमा वर्मा से चेकअप कराया. बाहर निकली तो वहां खड़ी चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी सुमित्रा देवी ने अमृता को अल्ट्रासाउंड कराने को कहा,जबकि डाॅक्टर ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था.
सुमित्रा ने उन लोगों को एक अल्ट्रासाउंड वाले का नंबर भी दिया. अल्ट्रासाउंड नहीं कराने पर उन लोगों के साथ अभद्र व्यवहार किया और अस्पताल से भगा देने की बात कही. सूत्रों की मानें तो इस चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के खिलाफ और भी कई ऐसे मामले हैं.