गया: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की दो सदस्यीय टीम के इंस्पेक्टर डॉ(प्रो) आरके टंडन व डॉ(प्रो) भंडारी मंगलवार को देर रात तक मगध मेडिकल कॉलेज के रेकॉर्ड खंगालने में जुटे रहे. निरीक्षण का काम पूरा होने के बाद कॉलेज के अधिकारी व कर्मचारी राहत महसूस कर रहे हैं. एमसीआइ टीम के संभावित कार्यक्रम के मद्देनजर सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गयी थी. काफी संख्या में शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों के पद रिक्त रहने से कॉलेज व अस्पताल प्रशासन भी पसोपेश में हैं.
इस प्रकार मान्यता बरकरार रहने पर संशय की स्थिति बनी है. एमसीआइ की टीम ने पहले दिन अस्पताल के विभिन्न विभागों का गहन निरीक्षण किया था. दूसरे दिन मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में अधिकारियों व कर्मचारियों के स्वीकृत पद, वर्तमान में कार्यरत बल व रिक्ति संबंधी जानकारी लेने के बाद एक-एक कर सभी विभागों के अध्यक्षों के साथ कार्यरत प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों, सह प्राध्यापकों, सीनियर रेजिडेंट, रेजिडेंड व अन्य अधिकारियों के अलावा कर्मचारियों की योग्यता से संबंधित सर्टिफिकेट, नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना व नियुक्ति पत्र आदि की जांच की. इसके बाद पुस्तकालय, प्रयोगशाला, लेर थियेटर, छात्रवास, छात्रों के आवासन व पठन-पाठन की सुविधाएं, मेस व कैंटीन आदि आधारभूत सुविधाओं का भी जायजा लिया.
इसके अलावा अस्पताल में मरीजों के लिए उपलब्ध बेड, मंगलवार को ओपीडी व इमरजेंसी वार्ड में पंजीकृत मरीजों की संख्या, पिछले एक साल व तीन साल में पंजीकृत कुल मरीजों के आंकड़े, अधिकारियों व कर्मचारियों के ड्यूटी चार्ट को देखा. निरीक्षण के बाद आमतौर पर दोनों इंस्पेक्टर संतुष्ट दिखे.
पर, कॉलेज सूत्रों की मानें, तो अनुबंध पर नियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों की गणना करने से एमसीआइ इंस्पेक्टर ने इनकार कर दिया. इससे प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक व सह प्राध्यापकों समेत डॉक्टरों के रिक्त पदों की स्थिति लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गयी है. भारी संख्या में इस रिक्ति पर इंस्पेक्टरों ने नाराजगी जतायी. हालांकि, इसके स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मान्यता बचेगी या समाप्त कर दी जायेगी. पर, एमबीबीएस की बढ़ी सीटें वापस होना तय माना जा रहा है. इसी प्रकार विभिन्न वार्ड प्रतिदिन पंजीकृत मरीजों की संख्या का संतोषजनक नहीं होना भी मुश्किलें बढ़ा सकता है. कॉलेज व अस्पताल प्रशासन भी इन दो कमियों को लेकर पसोपेश में है. हालांकि, काफी पहले ही राज्य सरकार व स्वास्थ्य विभाग को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जा चुका है.