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प्रोजेक्ट का डेडलाइन हुआ खत्म पर एक भी काम नहीं हो सका पूरा

गया : मगध मेडिकल काॅलेज व अस्पताल में चल रही सभी योजनाएं अपनी तय समय सीमा पार कर चुकी हैं. लेकिन, इनमें से एक भी पूरी नहीं हो सकी है. कुल 3709.43 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को 30 दिसंबर 2017 तक ही पूरा हो जाना था. यह तथ्य बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर काॅरपोरेशन लिमिटेड […]

गया : मगध मेडिकल काॅलेज व अस्पताल में चल रही सभी योजनाएं अपनी तय समय सीमा पार कर चुकी हैं. लेकिन, इनमें से एक भी पूरी नहीं हो सकी है. कुल 3709.43 लाख रुपये के प्रोजेक्ट को 30 दिसंबर 2017 तक ही पूरा हो जाना था. यह तथ्य बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर काॅरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) द्वारा मार्च में समीक्षा के बाद जारी रिपोर्ट में सामने आया है.
बीएमएसआइसीएल ने राज्य के सभी मेडिकल काॅलेजों व अस्पतालों में चल रही योजनाओं की मासिक समीक्षा की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक मगध मेडिकल कॉलेज में चल रही योजनाएं डेडलाइन पार कर जाने के बाद भी अब तक 80-82% तक ही पूरी हो सकी हैंं.
2015 में योजनाओं को मिली थी मंजूरी : स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल काॅलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए दिसंबर 2015 में कुल 3709.43 लाख रुपये की योजनाओं को मंजूरी दी थी. इसमें सेंट्रल लाइब्रेरी, सेंट्रल लाइब्रेरी के ऊपर माॅडल रिकाॅर्ड रूम, इमरजेंसी वार्ड, 136 बेड का गर्ल्स हाॅस्टल व 250 सीट वाला लेक्चर थिएटर के निर्माण की योजना बनी.
पूरे प्रोजेक्ट को 31 दिसंबर 2015 में ही मंजूरी दे दी गयी थी. प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट आॅफ इंटरनेशनल फंडिंग (यूके) के तहत तैयार किया गया. पटना की एक कंपनी सीमेंस कंस्ट्रक्शन काॅरपोरेशन को दिया गया. तय हुआ कि सभी काम 30 दिसंबर 2017 तक पूरा कर लेने हैं. पर यह नहीं हो सका. इधर अभी तक सभी प्रोजेक्ट को मिला कर संबंधित एजेंसी को 2268.35 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया है.
एमसीआइ ने लगातार जतायी आपत्ति
मगध मेडिकल काॅलेज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बड़ी चुनौती रहा है. खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से काॅलेज को कई समस्याएं झेलनी पड़ी हैं. मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया की टीम वर्षों से यहां की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती रही है. हर साल एमबीबीएस की 100 सीटों की मान्यता के लिए जब भी एमसीआई की टीम पहुंची तो यहां के खराब इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल उठाया. कई बार सीटों की मान्यमा रद्द होने तक की नौबत आ गयी. इसके बाद राज्य सरकार ने डिपार्टमेंट आॅफ इंटरनेशनल फंडिंग (यूके) के सहयोग से कुछ योजनाएं तैयार कीं. बीएमएसआइसीएल की देख-रेख में इन योजनाओं पर काम शुरू हुआ.लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो सका है. इस साल भी एमसीआइ ने पीजी के विषयों में पढ़ाई के लिए मांगी गयी अनुमति को इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से नकार दिया गया. बीते महीने एमबीबीएस की सीटों के लिए हुए निरीक्षण के दौरान एमसीआइ ने आपत्ति जतायी.
हो रही पदाधिकारियों से बात
इस संबंध में विभाग के शीर्ष पदाधिकारियों से बात हो रही है. जितने भी कंस्ट्रक्शन हुए हैं,वह सभी ब्रिक वर्क हैं. किसी भी बिल्डिंग का इंटिरियर वर्क अभी पूरा नहीं हुआ है. 100 % काम पूरा नहीं होने की स्थिति में इन भवनों की हैंड ओवर प्रक्रिया भी नहीं करायी जायेगी.

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