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श्रीलंका बौद्ध मठ में आयोजित किया गया

बोधगया: शांतिपूर्ण समाज की स्थापना के लिए शिक्षा का प्रसार बेहद जरूरी है. मोह, माया व तृष्णा आदि सुखद जीवन के सबसे बड़े दोष हैं. इसे ज्ञान (शिक्षा) के सहारे ही दूर किया जा सकता है. बुद्ध जयंती पर मंगलवार को महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया(श्रीलंका मठ) में ‘धार्मिक सद्भावना : शांतिपूर्ण समाज की आवश्यकता ’ […]

बोधगया: शांतिपूर्ण समाज की स्थापना के लिए शिक्षा का प्रसार बेहद जरूरी है. मोह, माया व तृष्णा आदि सुखद जीवन के सबसे बड़े दोष हैं. इसे ज्ञान (शिक्षा) के सहारे ही दूर किया जा सकता है. बुद्ध जयंती पर मंगलवार को महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया(श्रीलंका मठ) में ‘धार्मिक सद्भावना : शांतिपूर्ण समाज की आवश्यकता ’ विषय पर आयोजित परिचर्चा (धम्मसभा) में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एम इश्तियाक ने ये बातें कहीं.

इस दौरान कुलपति ने भगवान बुद्ध के संदेशों को वर्तमान व भविष्य दोनों के लिए प्रासंगिक बताया. उन्होंने कहा कि भाईचारा व करुणा आज के समय में अत्यंत आवश्यक तत्व है, जिससे मानव कल्याण व खुशहाल जीवन संभव है. विश्व शांति व बंधुत्व का प्रयास पहले स्वयं के जीवन में, फिर परिवार व समाज में लाना होगा. तभी करुणा व प्रेम की कल्पना चहुंओर की जा सकती है.

‘बहुजन हिताय- बहुजन सुखाय’ की चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जाने की प्रवृत्ति भी कष्ट का कारण बन रही है. इंटर फेथ फोरम के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा में सनातन धर्म से ताल्लुक रखनेवाले आचार्य रामानुजाचार्य ने कहा कि बोधगया ज्ञान की व गया मोक्ष की धरती है. यह दुर्लभ संयोग ही है कि यहां ज्ञान व मोक्ष दोनों तरह की धाराएं प्रवाहित होती हैं.

वेद की चर्चा करते हुए आचार्य ने कहा कि सभी को पवित्र बनाओ, यही वेद का मूल मंत्र है. उन्होंने अल्पबुद्धि से बचने की सीख दी. जैन धर्म से आये प्रो आरके गोयल ने कहा कि सभी धर्मो के सिद्धांत एक है. जैसे विभिन्न रंगों की गायें भी दूध एक ही रंग की देती हैं. जमायत-ए-इसलामी हिंद के शब्बीर आलम ने कहा कि धर्म के नाम पर होनेवाले झगड़े आपसी दूरियां बढ़ा देती हैं. इससे परहेज करने की जरूरत है. फादर उज्जवल लॉरेंस ने कहा कि शांतिपूर्ण समाज के लिए केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक सद्भाव की जरूरत है. धम्मसभा में सरदार करनैल सिंह, एमयू के कुलसचिव डॉ डीके यादव, प्रोफेसर राजेंद्र राम व इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर के महासचिव वेन बारासम्मबोधि थेरा ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये.

इस मौके पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव सह भिक्षु प्रभारी वेन के मेदंकर थेरा, इंटर फेथ फोरम के सचिव डॉ एएच खान, बीटीएमसी के सचिव एन दोरजी, प्रो कुसुम कुमारी, प्रो एमएन अंजुम, तेनजिन लामा, किरण लामा, डॉ बल्लभ सिंह, एमयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ सुशील कुमार सिंह व डॉ एमएस इसलाम सहित बौद्ध भिक्षु व श्रद्धालु मौजूद थे. मंच का संचालन डॉ कैलाश प्रसाद ने किया. कार्यक्रम के अंत में बौद्ध भिक्षुओं को संघदान कराया गया.

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