गया : देश के दूसरे राज्यों में रहनेवाले लोग अपने राज्य का समृद्ध इतिहास बहुत गर्व के साथ बताते हैं. यह काम बिहार के रहनेवाले लोग क्यों नहीं करते? क्यों बिहार के गौरवशाली इतिहास की चर्चा यहां के ही लोग नहीं करते? क्यों अपने ही राज्य की गलत छवि पेश करते हैं? क्यों यह कहने में मन में हीन भावना जागती है कि हम बिहारी हैं? यह विचार करने का विषय है.
हम अपने बारे में लोगों को बताते नहीं, इसलिए हमारे विषय पर हर कोई अपने मुताबिक सोच बना लेता है. यही बिहार के साथ हुआ. फिल्म, नेता और मीडिया ने बिहार की हमेशा नकारात्मक छवि
बिहार दिवस का संकल्प…
पेश की. उन लोगों ने कभी बिहार को जानने की कोशिश नहीं की और न ही बिहार ने उन्हें बताने की. शुक्रवार को प्रभात खबर कार्यालय में ‘कैसे हासिल होगा बिहार का गौरव’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में शहर के लोगों ने अपने विचार रखे. लोगों ने कहा कि हर बिहारी हीन भावना से ग्रसित है. खुद को बिहारी कहने में शर्म महसूस करते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि भारत के इतिहास में बिहार का हर क्षेत्र में गौरव रहा है. लोगों को इस बात को समझना होगा. परिचर्चा में मौजूद लोगों ने कहा कि इस बिहार दिवस (22 मार्च) हर बिहारी को यह संकल्प लेना होगा कि वह हीन भावना से बाहर निकलेगा. अपने राज्य के गौरवशाली इतिहास से देश को अवगत करायेगा. देश में बिहार को लेकर जो नकारात्मक चीजें फैलायी गयी हैं, उसे खत्म करना भी एक बिहारी की दायित्व है.
मेधा, संस्कृति व कृषि को प्रोमोट करने की जरूरत
बिहार के पास तीन अमूल्य धरोहर मेधा, संस्कृति व कृषि है. इन तीनों को प्रोमोट करने की जरूरत है. बुद्धिजीवियों ने कहा कि इन तीनों धरोहरों को प्रोमोट करने से न केबल बिहार सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होगा, बल्कि बिहार का आर्थिक विकास भी होगा. यहां की संपत्ति इसी
मेधा, संस्कृति व कृषि…
राज्य के विकास में प्रयोग की जा सकेगी, इसके लिए लोगों के साथ सरकार को भी सोचना होगा. यहां के किसान दूसरे राज्यों के मजदूर नहीं बने, इसके लिए उन्हें घर में ही सुविधा देनी होगी. युवाओं को घर से दूर नौकरी नहीं करनी होगी. जरूरत केबल इतना है कि यहां के लोग भी इन चीजों को समझें व सरकार से व्यवस्था की मांग करे.
प्रभात खबर की ओर से करायी गयी अहम परिचर्चा
‘कैसे हासिल होगा बिहार का गौरव’ विषय पर रखे विचार
खुद सुधारनी होगी अपनी नकारात्मक छवि
अपनी भाषा में बात करने में हमें शर्म क्यों आती है. महाराष्ट्र का आदमी मराठी बोलता है, बंगाल का बंगाली, तो बिहार का आदमी अपनी भाषा में क्यों बात नहीं करता.
हमारे राज्य की संस्कृति, इतिहास दूसरे लोग जानते हैं या जानने की कोशिश करते हैं. लेकिन, अफसोस यह है कि यहां के लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं. यह गलत है.