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गया पुस्तक मेले में बिकीं 15 लाख की किताबें

गया : एनबीटी की ओर से गांधी मैदान में लगाये गये पुस्तक मेले का रविवार को समापन हो गया. नौ दिन तक चले इस पुस्तक मेले में गया के पुस्तक प्रेमियों ने 15 लाख रुपये से अधिक की किताबें खरीदींं. पुस्तक मेले के कंसल्टेंट चंडी प्रसाद ने बताया कि गया में पहली बार लगे इस […]

गया : एनबीटी की ओर से गांधी मैदान में लगाये गये पुस्तक मेले का रविवार को समापन हो गया. नौ दिन तक चले इस पुस्तक मेले में गया के पुस्तक प्रेमियों ने 15 लाख रुपये से अधिक की किताबें खरीदींं. पुस्तक मेले के कंसल्टेंट चंडी प्रसाद ने बताया कि गया में पहली बार लगे इस मेले को जो पाठकों का रिस्पांस मिला है, उससे यहां स्टाल लगाये कई प्रकाशक खुश हैं.
उन्होंने बताया कि यहां से अब यह मेला श्रीनगर जा रहा है. यह पूछे जाने पर कि गया में अगला पुस्तक मेला कब लगेगा, तो उन्होंने कहा कि यह निर्णय मंत्रालय का होगा. रविवार को छुट्टी का दिन होने के कारण प्राय: सभी स्टॉलों पर काफी संख्या में पाठक दिखे. कई प्रकाशक ने किताबों की खरीदारी पर 20 से 35 फीसदी की छूट भी दी, जिसका पुस्तक प्रेमियों ने लाभ उठाया. इस मेले में साहित्य, जीवनी व बच्चों की किताबें खूब बिकीं.
जिन किताबों ने पाठकों का ध्यान खींचा
साहित्य अकादमी नयी दिल्ली के स्टॉल पर चर्चित दलित लेखक मोहनदास नैमिशराय लिखित ‘हिंदी दलित साहित्य’, प्रेमचंद रचना संसार, आधार प्रकाशन द्वारा समकालीन रचनाशीलता की त्रैमासिक पत्रिका ‘पल-प्रतिपल’, युवा हरियाणवी लेखक अमित की ‘मेरा यार मरजिया,’ आरपी बुक नई दिल्ली के स्टॉल पर बेबाक बोली व लेखन के लिए चर्चित तारिक फतह लिखित ‘ इस्लामिक राज्य का भ्रम’ व कृष्णा नागपाल की चुप नहीं रहेगी लड़कियां के अलावा माधव गोडबोले लिखित ‘धर्म निरपेक्षता(दौराहे पर भारत)’, कांचा अइलैयया लिखित ‘हिंदुत्व-मुक्त भारत’, राबिन बापट व नाजिया मसूद की ‘टूटे दर्पण(भारत में दहेज समस्या) ‘ आदि किताबें खूब बिकीं.

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