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रामकथा में तन्मयता के साथ शांति भी

बोधगया: कालचक्र मैदान में आयोजित रामकथा के दौरान संत श्री मोरारी बापू का प्रवचन सुनने में तन्मयता के साथ-साथ शांति भी बनी रहती है. एक साथ हजारों की संख्या श्रद्धालु बैठते हैं. लेकिन, कही से कोई आवाज नहीं आती है. प्रवचन में बच्चें भी उपस्थित होते हैं. लेकिन, अनुशासित व एकाग्र चित बच्चे न तो […]

बोधगया: कालचक्र मैदान में आयोजित रामकथा के दौरान संत श्री मोरारी बापू का प्रवचन सुनने में तन्मयता के साथ-साथ शांति भी बनी रहती है. एक साथ हजारों की संख्या श्रद्धालु बैठते हैं.

लेकिन, कही से कोई आवाज नहीं आती है. प्रवचन में बच्चें भी उपस्थित होते हैं. लेकिन, अनुशासित व एकाग्र चित बच्चे न तो भाग-दौड़ करते नजर आते हैं और न ही शोर-गुल मचाते. रामकथा के लिए बनाये गये पंडाल में सिफ एक ही आवाज चहुंओर गुंजती है.

वह है संत श्री मोरारी बापू का प्रवचन और बीच-बीच में भजन के साथ वाद्य यंत्रों से निकलने वाली मधुर आवाज. इस दौरान बापू द्वारा किसी प्रसंग में श्रोताओं को हंसाने का भी काम किया जाता है. रामकथा सुबह 9:30 से दोपहर 1:30 बजे तक निरंतर जारी रहता है. इन चार घंटों तक सभी श्रद्धालु अपने स्थान पर जमे रहते हैं. इसे रामकथा का असर कहा जाये या फिर रामकथा के दौरान बापू द्वारा कही जाने वाली प्रेरक व जीवन से जुड़ी सच्चइयों को प्रस्तुत करने की कला. वजह चाहे जो भी हो, पर यह काफी उत्साहजनक है कि बापू के प्रवचन को लोग गंभीरता से सुन रहे हैं.

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