गया: लोकसभा चुनाव को लेकर 10 अप्रैल (गुरुवार) की सुबह सात बजे से जिले में मतदान होंगे. मंगलवार की शाम पांच बजे से चुनाव प्रचार-प्रसार बंद हो जायेगा. जिले के नक्सलग्रस्त डुमरिया, इमामगंज, कोठी, रोशनगंज, बांकेबाजार, आमस, गुरुआ, गुरारू, परैया, कोंच व टिकारी सहित अन्य इलाके में शांतिपूर्ण माहौल में मतदान संपन्न कराना पुलिस के लिए परीक्षा की घड़ी है.
नक्सलग्रस्त इलाके में वोट बहिष्कार को लेकर भाकपा-माओवादी संगठन की टीम सक्रिय हो गयी है. खुफिया एजेंसी के मुताबिक माओवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में जुटे हैं. इस कारण सोमवार की देर रात से गुरुवार की देर रात तक का समय गया पुलिस के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है. माओवादी की योजना है कि चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वहां हमला करें, जहां से उन्हें सफलता मिल सके. इधर, पुलिस की रणनीति है कि माओवादियों की योजना को हर हाल में विफल कर दिया जाये. चुनाव के दौरान माओवादियों द्वारा अपनाये जानेवाले हर तकनीक का करारा जवाब देने में पुलिस के वरीय अधिकारी लगातार बैठक कर रहे हैं और अपने अधीनस्थों को आदेश-निर्देश दे रहे हैं.
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में जिले के नक्सलग्रस्त इमामगंज, गुरुआ व टिकारी विधानसभा क्षेत्र आते हैं. तीनों विधानसभा का इलाका भाकपा-माओवादी द्वारा अघोषित ‘लाल क्षेत्र’ है. इन इलाकों में प्रचार-प्रसार में प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं. हालांकि, मंगलवार की शाम प्रचार-प्रसार का दौर बंद हो जायेगा. सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये हैं. लेकिन, भाकपा-माओवादी द्वारा वोट बहिष्कार की घोषणा को लेकर प्रत्याशियों की चिंता बढ़ने लगी है. उन्हें आशंका है कि कहीं माओवादियों के भय से मतदाता अपने-अपने घरों से निकलते हैं या नहीं. हालांकि, माओवादियों द्वारा वोट बहिष्कार करने का फरमान से गांव में भय का माहौल है. लेकिन, यह भी स्पष्ट है कि माओवादियों की फरमान चाहे जो हो, मतदान के दिन नक्सलग्रस्त इलाके में भी मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें देखी जाती है. मतदान के दिन माओवादियों का ध्यान सिर्फ पोलिंग पार्टी व पुलिस बलों पर हमला करने की होती है.