गया : पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्राेफेसर रंजीत वर्मा ने बुडापेस्ट में पूर्वी यूरोपीय देशों के संयुक्त थर्मल कांग्रेस में स्मार्ट फेराइट नैनो कणों पर विशेष व्याख्यान दिया. अधिवेशन के दौरान प्रोफेसर वर्मा और स्लोवाकिया के प्रोफेसर पीटर सीमोन के बीच हवा में सरसों और यूरोपीय रेपसीड तेलों को गरम करने पर उनमें होनेवाले […]
गया : पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्राेफेसर रंजीत वर्मा ने बुडापेस्ट में पूर्वी यूरोपीय देशों के संयुक्त थर्मल कांग्रेस में स्मार्ट फेराइट नैनो कणों पर विशेष व्याख्यान दिया. अधिवेशन के दौरान प्रोफेसर वर्मा और स्लोवाकिया के प्रोफेसर पीटर सीमोन के बीच हवा में सरसों और यूरोपीय रेपसीड तेलों को गरम करने पर उनमें होनेवाले विघटन पर संयुक्त शोध करने पर सहमति बनी. प्रोफेसर वर्मा अभी मगध विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर हैं.
उनके नेतृत्व में बिहारी वैज्ञानिकों की एक टीम ने कम तापक्रमों पर चुंबकीय, विद्युतीय व प्रकाशीय गुणों वाले मैग्नीशियम, बेरियम, कोबाल्ट व समेरियम फेराइट नैनो कणों के निर्माण में सफलता पायी है. टीम में पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अमरेंद्र नारायण,आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय के डाॅ राकेश सिंह आदि शामिल हैं.
गौरतलब है कि भारत में ऊंचे तापक्रमों पर हवा की उपस्थिति में छानने के लिए तेलों के बढ़ रहे प्रयोगों से हानिकारक रसायनों के संभावित निर्माण ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ाई है. पिछले दिनों प्रोफेसर वर्मा ने उच्च तापक्रमों पर हवा की उपस्थिति में सरसों तेल में होने वाले विखंडन पर शोध प्रस्तुत कर अन्य स्थानों के वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया था. प्राेफेसर वर्मा के मुताबिक तेलों का प्रयोग कम तापक्रमों पर या फिर धीमी आंच में करना चाहिए वह भी मसालों की उपस्थिति में, क्योंकि ऐसे में तेलों में हानिकारक रसायनों के निर्माण की प्रक्रिया शिथिल पड़ती है. वैसे पिछले दो दशकों से भारत में सोयाबिन तेल व मलेशिया आदि देशों से आले वाले सस्ते पाम आॅयल की खपत तेजी से बढ़ रही है. पाम आॅयल एक साल तक के लिए आसानी से अंतरराष्ट्रीय उधार पर भारतीय व्यापारियों को मिल जाता है.