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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा व्यवस्था चरमरायी

हड़ताल. इलाज के बिना मायूस लौट गये सैकड़ों मरीज दरभंगा : एसकेएमसीएच में डॉक्टरों से मारपीट करने वालों पर कार्रवाई व वहां के इंटर्न छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई बंद करने सहित अन्य मांगों को लेकर मंगलवार को जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण डीएमसीएच की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई थी. मंगलवार की देर रात हड़ताल […]

हड़ताल. इलाज के बिना मायूस लौट गये सैकड़ों मरीज

दरभंगा : एसकेएमसीएच में डॉक्टरों से मारपीट करने वालों पर कार्रवाई व वहां के इंटर्न छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई बंद करने सहित अन्य मांगों को लेकर मंगलवार को जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण डीएमसीएच की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई थी. मंगलवार की देर रात हड़ताल समाप्त हुई. पूर्व निर्धारित घोषणा के अनुसार मंगलवार की सुबह आठ बजे से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये. इससे आउटडोर व इंडोर सेवा के साथ ऑपरेशन भी प्रभावित हो गया.
जूनियर डॉक्टर करीब 11 बजे आउटडोर का रजिस्ट्रेशन काउंटर भी बंद करवा दिये. इससे मरीजों में अफरा-तफरी मच गई. काफी देर तक इंतजार के बाद सैकड़ों मरीज मायूस होकर वापस लौट गये. मरीज व उनके परिजन चिकित्सकों को कोसते हुये निजी क्लिनिक की ओर विदा हो गये. कई मरीजों का ऑपरेशन टाल दिया गया.
जेडीए अध्यक्ष डॉ. जतीश सिंह ने कहा कि उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने और सभी मांगे मानने का आश्वासन मिलने व मरीजों की परेशानी को देखते हुये रात आठ बजे हड़ताल तोड़ दिया गया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सात मई तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं हुई तो आठ मई से चिकित्सा व्यवस्था ठप कर दी जायेगी. इधर डीएमसीएच के प्रभारी अधीक्षक डॉ. वालेश्वर पासवान ने दावा किया कि हड़ताल के बावजूद आउटडोर में 825 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. इमरजेंसी में 90 मरीजों का उपचार हुआ. वहीं चार मरीजों का मेजर व 35 मरीजों का माइनर ऑपरेशन किया गया. अधीक्षक ने कहा कि हड़ताल को देखते हुये सिविल सर्जन से एहतियात के तौर पर 30 चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की मांग की गई है.
कई मरीजों का ऑपरेशन टला, इमरजेंसी छोड़ कर सभी सेवाएं प्रभावित
गायनिक वार्ड में प्रसव पीड़ा से कराहती रही प्रसूता
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल से गायनिक वार्ड का बुरा हाल था. कई प्रसूता प्रसव पीड़ा से कराह रही थी. हाल यह था कि लेबर रूम में इंसानियत तार-तार हो रही थी. मरीज की कराह से बिचलित परिजन चिकित्सक की तलाश में इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था. परिजन अधीक्षक को फोन लगाकर इलाज के लिए गुहार लगा रहे थे. जवाब में बाहर रहने की बात कही जा रही थी. कहा जा रहा था कि हड़ताल में वे कुछ नहीं कर सकते हैं. मरीज के परिजन अशोक महतो, सूरज कुमार, अमिरका देवी, शोभा देवी ने बताया कि चिकित्सक के हड़ताल पर जाने से लोगों की मौत हो सकती है. इन्हें किसी की जान लेने की छूट नहीं होनी चाहिए. सरकार को चिकित्सकों के हड़ताल पर कड़े कदम उठाने चाहिए. मरीज के परिजनों का सबसे अधिक गुस्सा डीएमसीएच अधीक्षक से था. कहा कि उन्हें आज किसी भी सूरत में अस्पताल में रहकर मरीजों के इलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी. फोन करने पर उनका जवाब अस्पताल प्रशासन के लायक नहीं था.
दोपहर बाद सुनसान हो गया डीएमसीएच
डीएमसीएच परिसर में सुबह में मरीजों की भीड़ लगी थी. मरीज व उनके परिजन इलाज के लिये निश्चिंत थे. जैसे ही सुबह का आठ बजा जूनियर चिकित्सक हड़ताल पर चले गये. इनके हड़ताल पर जाते ही चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई. कुछ देर तक मरीज इलाज के उम्मीद में इंतजार करते रहे. लेकिन दोपहर होते-होते मरीज को लेकर परिजन मायूस होकर
चलते बने. इसके कारण दोपहर के बाद डीएमसीएच परिसर सुनसान हो गया.

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