दरभंगा : लहेरियासराय थाना में दर्ज दो मामले में तीन आरापिताें को पुलिस खोजते-खोजते बेदम है. उसका अता-पता नहीं चल रहा है. मजेदार पहलू यह है कि जिस विभाग ने छह साल पूर्व थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी उस विभाग ने बिना सत्यापन किये तीन लाभार्थियों को ऋण दे दिया था. जब ऋणकर्त्ता ऋण लेकर करीब नौ वर्षों तक पैसा वापस नहीं किया. थक-हार कर विभाग ने तीनों ऋण धारक के विरुद्ध लहेरियासराय थाना में दो अलग-अलग मामला दर्ज कराया.
मामला बिहार राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगम का है. बिहार राज्य अल्पसंख्यक वित्त विभाग के प्रभारी धर्मेश कुमार ने छह साल पूर्व दो मामले दर्ज कराये थे. कांड संख्या 242/10 मो. कलाम एवं मो. मुस्तफा को आरोपित बनाया गया है. इस मामले में आरोपि का पता लहेरियासराय थाना क्षेत्र के मिर्जा हयात खां मुहल्ला एवं स्थायी पता सदर थाना क्षेत्र के भलुका भलनी दिया गया है. वहीं कांड संख्या 243/10 में मो. सैराज के पुत्र मो. अब्दुल कयूम को ऋण नहीं लौटाने का आरोपी बनाया है. इसका पता लहेरियासराय थाना क्षेत्र के सेनापत मुहल्ला बताया गया है.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दर्जनभर से ज्यादा पदाधिकारी तीनों आरोपित को खोजने में एड़ी चोटी एक कर दिये, लेकिन पता गलत निकला है. इस कारण आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. साथ ही कांड लंबित है. लहेरियासराय थाना क्षेत्र ने कहा कि बिना सत्यापन के विभाग कैसे तीनों को ऋण दे दिया. इधर प्रभारी धर्मेश कुमार से इस बावत जानकारी ली गयी तो उनका जवाब था कि वर्ष 2001 में तीनों को ऋण दिया गया था. वर्ष 2007 में विधिवत उनका कार्यालय विकास भवन में आया. उसके बाद ही वे यहां ज्वाइन किये थे. उनके योगदान के बाद जब इस मामले को देखा गया तो ऋण नहीं चुकाने वालों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. यहां कार्यालय खुलने के बाद रिकवरी एजेंट को रखा गया है. जिसके सत्यापन के बाद ही ऋण देने की प्रक्रिया शुरु की जाती है. प्रभारी धर्मेश ने बताया कि मो. कलाम एवं मुस्तफा क्रमश: 95-95 हजार एवं अब्दुल क्यूम को 45 हजार का ऋण दिया गया था.