उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 4300 विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमीकैसे पूरा होगा गुणवत्ता शिक्षा लाभ का सपनादरभंगा. जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में उच्च प्राथमिक कक्षाआें कक्षा छह से आठ तक में पढ़ने वाले करीब ढाई लाख बच्चों को पर्याप्त विषय विशेष शिक्षक मय्यसर नहीं हैं. इन शिक्षकों की कमी के बजट से इनकी शिक्षा में गुणवत्ता लाने के सारे प्रयास कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. जिसके कारण शिक्षा के अधिकार के तहत गुणवत्ता शिक्षा दिलाने में मुमकिन नहीं हो पा रहा है. जब इन कक्षाओं के लिए हिंदी, संस्कृत, उर्दू, अंग्र्रेजी सहित गणित-विज्ञान के शिक्षकों की उपलब्धता नहीं होगी तब कोई भी योजना अथवा कार्यक्रम गुणवत्ता शिक्षा कैसे दिलाया जा सकता है. फिलहाल जिले के 1150 मध्य विद्यालयों में से अधिकांश विद्यालयों की ऐसी स्थिति है कि प्रत्येक विषय के कम से कम एक शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. प्रत्येक विद्यालय में इन विषयों की कम से कम एक शिक्षक गणना की जाये तो जिले में 6900 इन विषयों के शिक्षक होने चाहिए. जबकि वर्त्तमान में स्थिति यही है कि नियमित शिक्षकों में विज्ञान व गणित तथा सामाजिक विज्ञान (कला) के करीब 600 के स्नातक शिक्षकों का पदस्थापन है तथा हॉल के नियेाजन प्रक्रिया से करीब 2 हजार स्नातक शिक्षक विषय विशेषज्ञ शिक्षक के रुप में पदस्थापित हुए हैं. इस प्रकार जिले मेंं कक्षा 6-8 तक के छात्र-छात्राओं में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए 4300 शिक्षकों की अभी भी कमी है. क्या क हता है शिक्षा का अधिकार : शिक्षा के अधिकार के तहत गुणवत्ता शिक्षा दिलाने के लिए 100 से उपर नामांकित विद्यालयों में एक पूर्ण कालिक प्रधानाध्यापक तथा कला शिक्षा, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा एवं कार्य शिक्षा के लिए अंशकालीन शिक्षक का होना अनिवार्य है. इनमें से वर्त्तमान में शारीरिक शिक्षक किसी न किसी मध्य विद्यालय में पदस्थापित है. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभिन्न विषयों के शिक्षकों की कमी के कारण किस प्रकार की गुणवत्ता शिक्षा ढाई लाख बच्चों को मिल रही होगी?प्रोन्नति की कार्रवाई अवरुद्ध : इन विद्यालयों में प्रधानाध्यापक अथवा स्नातक कला व विज्ञान शिक्षकों के पद भरे नहीं जा रहे हैं. वर्त्तमान मेंं कम से आधे पदों के योग्य शिक्षक पदस्थापित हैं. जिनके प्रोन्नति से इन पदों को भरा जा सकता है. इसके लिए विभागीय आदेश भी है कि दिसंबर माह में वरीयता सूची के आधार पर कार्रवाई की जाये, किंतु विभागीय शिथिलता के कारण वर्ष 2012 के बाद से ही इस पर कार्रवाई स्थगित है. जिसके कारण विषय विशेषज्ञ शिक्षक के होते हुए असमान वितरण के कारण इन बच्चों को लाभ नहीं मिल रहा है. तथा इनके शिक्षा में गुणवत्ता लाने के सारे प्रयास जमीनी अंजाम तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. तीन चरणों के शिक्षक नियोजन में भी 756 पद रिक्तवहीं शिक्षक नियोजन प्रक्रि या के तीन चरण बीतने के बावजूद जिले में 756 विभिन्न विषयों के पद रिक्त है. इसमें से हिंदी विषय में 202, उर्दू में 73, अंग्रेजी में 99 तथा संस्कृत में 155 शिक्षकों का पद रिक्त है. इसी प्रकार सामाजिक विज्ञान के 30 एवं गणित एवं विज्ञान के 197 पद रिक्त हैं. इसे नियेाजन प्रक्रिया का दोष कहें या इन विषयों में टीइटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की कमी कि नौकरी के लिए मारामारी क इस दौड़ में भी ये पद भरे नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में इन पदों पर शिक्षक कबतक पदस्थापित हो पायेंगे कहा नहीं जा सकता. तबतक इन कक्षा के बच्चों को इन विषयों के शिक्षकों की कमी झेलने की विवशता बनी रहेगी.नियोजित शिक्षकों को नहीं दी जा रही प्रोन्नतिस्नातक योग्यता रखनेवाले 6 वर्ष की सेवा पूरी करनेवाले नियोजित शिक्षकों को स्नातक शिक्षक पर प्रोन्नत करने का विभागीय आदेश है. इस संबंध में प्रखंडों से वांच्छित योग्यता रखनेवाले शिक्षकों से आवेदन भी लिया गया है. किंतु इस पर भी आगे की कार्रवाई नहीं हुई है. जबकि इससे भी काफी हद तक कमी को पाटा जा सकता है. गुणवत्ता शिक्षा के लिए आवश्यकराष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रुपरेखा 2005 तथा बिहार पाठ्यचर्चा की रुपरेखा 2008 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए विषयवार शिक्षक होने इसका सीधा असर गुणवत्ता शिक्षा पर गुणात्मक पड़ता है. इसके अलावे प्रत्येक विद्यालय में कला, शारीरिक शिक्षक आदि के साथ ही पूर्ण कालिक प्रधानाध्यापक को भी गुणवत्ता शिक्षा दिलाने के लिए आवश्यक बताया गया है.बॉक्स करना होगा विचार, निभानी होगी अपनी जिम्मेवारीवर्त्तमान में स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने का हरेक स्तरों पर कोशिशें चल रही है. सरकार एवं विभाग भी समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों में परिवर्त्तन का वर्त्तमान परिस्थितियों के अनुकूल बना रही है. किंतु इसमें हम अपनी जिम्मेवारी निभा कर भी गुणवत्ता शिक्षा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं. स्कूली शिक्षा बच्चों की बुनियाद है जैसी बुनियाद होगी. इमारत उतना ही बुलंद होगा. प्राथमिक अथवा सामान्य शिक्षक अपने विषयों के अलावा रुचि के अनुसार अन्य विषयों की पढाई में मदद करें. प्रधानाध्यापक को प्रभार का प्रधानाध्यापक नहीं समझें. विभागीय अधिकारी प्रोन्नति पर विचार का विषय विशेषज्ञ स्नातक शिक्षकों का समानुपातिक वितरण करें. वांच्छित क्षमता रखनेवाले शिक्षकों को पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक बनाये. विद्यालय शिक्षा समिति अथवा समाज विद्यालयों को पठन पाठन पर दृष्टि रखें तथा यथा संभव मदद का प्रयास करें. सरकार नियोजन प्रक्रि या को और कारगर बनायें तो वर्त्तमान परिस्थिति में भी गुणवत्ता शिक्षा लाना नामुमकिन नहीं होगा.
BREAKING NEWS
उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 4300 विषय-विशेषज्ञ शक्षिकों की कमी
उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 4300 विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमीकैसे पूरा होगा गुणवत्ता शिक्षा लाभ का सपनादरभंगा. जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में उच्च प्राथमिक कक्षाआें कक्षा छह से आठ तक में पढ़ने वाले करीब ढाई लाख बच्चों को पर्याप्त विषय विशेष शिक्षक मय्यसर नहीं हैं. इन शिक्षकों की कमी के बजट से इनकी शिक्षा में गुणवत्ता […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement