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जदयू का संगठना होगा मजबूती, राजद को मिली संजीवनी

जदयू का संगठना होगा मजबूती, राजद को मिली संजीवनी भाजपा को अपनी कमजोरी दूर करने के लिए करना होगा प्रयासदरभंगा. विधानसभा चुनाव के परिणाम ने राजनीतिक दलों को स्पष्ट संकेत दे दिये हैं. नये राजनीतिक परिदृश्य उभर कर सामने आया है. इससे जहां जदयू में संगठनात्मक मजबूती आयेगी वहीं पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में […]

जदयू का संगठना होगा मजबूती, राजद को मिली संजीवनी भाजपा को अपनी कमजोरी दूर करने के लिए करना होगा प्रयासदरभंगा. विधानसभा चुनाव के परिणाम ने राजनीतिक दलों को स्पष्ट संकेत दे दिये हैं. नये राजनीतिक परिदृश्य उभर कर सामने आया है. इससे जहां जदयू में संगठनात्मक मजबूती आयेगी वहीं पिछले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में हाशिये पर पहुंच चुके राजद को भी संजीवनी दे दिया. इस चुनाव ने भाजपा को अपनी कमजोरी दूर करने का भी स्पष्ट संकेत दिया है. पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू को यहां से दो सीटें मिली थी. जबकि इस बार जदयू को चार सीटें मिली है. इसी तरह राजद को भी दोगुनी सीट इस बार मिली. यानि उसे चार सीट हासिल हुए. जदयू को मिले चार विधायकों से यहां की संगठनात्मक स्थिति के सुदृढ़ होने में मदद में मिलेगी. राजद के भी चार विधायक इस जिले से हो गये. इन चार विधायकों के बल पर जिले का जो संगठनात्मक ढांचा है उसे सुदृढ़ करने के साथ साथ अपने बेजान पड़े कार्यकर्ताओं को एक बार फिर से सक्रिय करने में मदद मिलेगी. जबकि भाजपा को इस सदमे से उबरने का प्रयास करना होगा. छह से महज दो सीटों पर सिमटे इस पार्टी को अपनी कमजोरी दूर करने का प्रयास करना होगा. बात यदि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की करें तो जदयू एवं राजद को इस जिले में अब आसानी होगी. मिशन लोकसभा को लेकर अभी से ही जदयू एवं राजद के कार्यकर्ता जुट जायेंगे. जबकि चुनाव परिणाम से हतोत्साहित भाजपा कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. इसके अलावा जदयू एवं राजद को जिले के विकास में अब अहम भूमिका निभाना होगा. प्रदेश में सरकार होने के बाद उससे लोगों की अपेक्षाएं काफी बढ़ जायेगी. नि:संदेह 2019 का चुनाव विकास के आधार पर लड़ा जायेगा. इसलिए जदयू एवं राजद को अभी से ही जिले के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना होगा. खासकर जिले के अधिकांश भाग बाढ़ प्रभावित हैं. कई ऐसे भी गांव हैं जहां आज तक लोगों को बिजली नसीब नहीं हुई़ सड़कें अच्छी नहीं है. पुल पुलिया का भी अभाव है. अस्पतालों में चिकित्सकों की घोर कमी है. जहां चिकित्सक हैं भी वहां सही से गरीब गुरबों का इलाज नहीं हो पाता. शिक्षा की स्थिति भी बेहतर नहीं कही जा सकती. भले ही प्राइमरी एवं हाइ स्कूलों में शिक्षक भर दिये गये हो, परंतु शैक्षणिक स्थिति बदहाल है. कॉलेजों एवं विवि में तो शिक्षकों के पद पूरे के पूरे खाली पड़े हैं. स्थिति यह है कि आज सिर्फ परीक्षा लेने एवं प्रमाण पत्र देने का ही यहां पर काम हो रहा है. ऐसे में नई सरकार से यह भी अपेक्षा होगी कि कॉलेजों में रिक्त पड़े शिक्षकों को भरने का कार्य किया जाये. इसके लिए महागंठबंधन की बनने वाली सरकार एवं दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं को आम मतदाताओं के विश्वास पर खड़ा उतरना होगा.

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