दरभंगा : डीएमसीएच के हड्डी रोग वार्ड में भरती मरीजों का दर्द बढ़ते जा रहा है. पिछले दो माह से यहां इलाज के साथ-साथ ऑपरेशन प्रभावित है. कारण-यहां डॉक्टरों की कमी है. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक डॉक्टर को यहां शिफ्ट करने का आदेश तो दिया गया, लेकिन उन्होंने वरीयता का हवाला देते हुए वहां जाने से इनकार कर दिया.
दूसरी ओर, हड्डी रोग वार्ड में कुल 75 बेड है. इसे तीन यूनिटों के बीच 25-25 बेडों में बांटा गया है. डॉ नंद कुमार की यूनिट गुरुवार को भी फुल थे. दो माह पूर्व के हिसाब से इस यूनिट में मरीजों की भरती और ऑपरेशन कार्य डाक्टरों की कमी से प्रभावित है. अलबत्ता प्राचार्य डॉ आरके सिन्हा का कहना है कि हड्डी रोग विभाग का यह मामला उनकी नजर में है,
लेकिन डॉ सर्राफ के योगदान देने का मामला उनके पास अभी तक नहीं आया है. मामला सामने आने पर इसका समाधान किया जायेगा. एेसे में सवाल यह उठता है कि जिस आदेश को उनके द्वारा जारी हुए 12 दिन हो गये और संबंधित डॉक्टर ने वहां से इनकार करने और अपने ही वार्ड रहने देने का आग्रह का पत्र भी सौंप दिया है तो प्राचार्य का ऐसा कहना समझ से परे है.
यह है मामला दो माह पूर्व डॉ नंद कुमार के यूनिट के वरीय रेजिडेंट डाक्टर डॉ एसके सिन्हा को तकनीकी कारणों से पटना सचिवालय में योगदान करना पड़ा. इससे हड्डी रोग वार्ड के डॉ नंद कुमार की यूनिट (दो) वरीय रेजिडेंट विहीन हो गया. तब उन्होंने एचओडी से यहां एक डॉक्टर देेने का आग्रह किया.
जिसे स्वीकार करते हुए हड्डी रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ लालजी चौधरी ने 16 अक्टूबर को मरीजों की परेशानी को देखते हुए एक डाक्टर को यूनिट (तीन) में से यूनिट (दो) में कार्य करने का आदेश जारी किया था. इस आदेश को 12 दिन बीत गये. यूनिट (दो) में शिफ्ट किये गये डाक्टर सहायक प्राध्यापक डॉ एसएन सर्राफ ने 19 अक्टूबर को एचओडी को आवेदन सौंप कह दिया कि वे वरीय डाक्टर हैं
उन्हें डॉ अरविंद कुमार की यूनिट (तीन) में ही रहने दिया जाय. आवेदन में यह जिक्र भी किया गया कि कुछ साल पूर्व डॉ नंद कुमार ने अपने यूनिट में रखने से उन्हें इनकार कर दिया था. इस आग्रह के भी 10 दिन बीत गये, लेकिन यह मामले का निराकरण नहीं किया गया.