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छह माह में 1717 की मौत

डीएमसीएच में मरीजों की जिंदगी दावं पर दरभंगा : डीएमसीएच में दो साल बाद फिर मरीजों की मौत की संख्या में इजाफा हो गया है. यों कहें कि प्रतिदिन तीन मरीजों की मौत किसी न किसी वजह से डीएमसीएच में हो रही है, जो चिंता का विषय है. सरकार एवं प्रशासन के द्वारा डीएमसीएच को […]

डीएमसीएच में मरीजों की जिंदगी दावं पर
दरभंगा : डीएमसीएच में दो साल बाद फिर मरीजों की मौत की संख्या में इजाफा हो गया है. यों कहें कि प्रतिदिन तीन मरीजों की मौत किसी न किसी वजह से डीएमसीएच में हो रही है, जो चिंता का विषय है.
सरकार एवं प्रशासन के द्वारा डीएमसीएच को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की भरसक कोशिश की जा रही है. ढेर सारे उपकरण भी स्थापित किये गये हैं, जिसकी जरूरत मरीजों के इलाज के दौरान पड़ती है. विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ-साथ उन मशीनों को चलाने के लिए तकनीशियन भी हैं. बावजूद मरने वालोंकी संख्या में इजाफा होना न सिर्फ सरकार बल्कि डीएमसीएच प्रशासन पर सवालिया निशान उठा रहा है.
वर्ष 2014 में हुई थी 835 मरीज की मौत
पूर्व के साल की रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2014 में 835 और 2013 में 862 मरीजों की मौत हुई थी.साल 2014 में सबसे अधिक हर्ट फे ल्योर से 169 लोगों की मौत हो गयी. इसके अलावा किडनी से 124, दुर्घटना से 154, कार्डिएक प्राब्लम से 109 लोगों ने दम तोड़ दिया. इसके अलावा मेनेनइटिस, डायबिटिज और अज्ञात समेत अन्य रोगों से मौत शामिल है. साल 2013 में 862 मरीजों की मौत हो गयी. इसमें सबसे अधिक सड़क दुर्घटना से मौत थी.
यह भी चौंकाने वाले आंकड़े हैं कि इन दो सालों में कॉर्डिएक, हर्ट फेल्योर, मेनेनेजाइटिस और डायबिटिज के रोगियों की मौतों की संख्या इस साल के 6 माह से काफी कम थे.हालांकि साल 2007 में 1081 मरीजों की मौत हो गयी थी. इसके पहले गत दो सालों में भी मरीजों की मौत की संख्या 1100 के पार था. लेकिन गत सालों में यहां की मौतों की संख्या एक हजार से भी कम पाया गया. यह आंकड़ा बिहार सरकार के सांख्यिकी विभाग के हैं.
मरीजों की संख्या में भी हुआ इजाफा
मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. बीके सिंह ने बताया कि निजी नर्सिग होम से रिजेक्ट और गंभीर मरीज ही यहां अधिकांश आते हैं. इसमें भी सैकड़ों मरीज की आयु 65 से 80 साल होती है.
इसके अलावा कई गंभीर मरीजों का इलाज हुआ है और मरीज उपचारित होकर गये हैं. इधर मरीजों की संख्या में भी काफी इजाफा हुई है. पांच साल पहले ओपीडी में मरीजों की संख्या औसतन प्रतिदिन 200 से 400 हुआ करती थी. आज यहां हर रोज 1700 से 2000 मरीज आते हैं.
मरीजों की मौत का आंकड़ा
सिर्फ वर्ष 2015 की बात करें तो पहली छमाही में 1717 मरीजों की मौत डीएमसीएच में हो चुकी है. इसमें सर्वाधिक मौत हर्ट अटैक की वजह से हुई है. प्रथम छह माह में 270 मरीजों की मौत हर्ट अटैक से हुई है.
इसके अलावा कॉर्डिएक प्राब्लम से 232, किडनी रोग के 245 , डायबिटिज से 199, दुर्घटना से 303 और अन्य रोगों से 468 मरीजों की मौत डीएमसीएच में हुई है. इसमें कई ऐसे मौतें भी हैं जो अज्ञात बीमारी से हुई है. यह सभी आंकड़ें इस साल के जनवरी से जून तक के हैं. अभी इस साल के 6 माह अभी बाकी है. यह चौंकाने वाले आकड़ें है.
हर रोज हर्ट फेल्योर, कॉडिएक एरेस्ट और किडनी से एक-एक मरीज दम तोड़ देते है. मेनेनजाइटिस से पीड़ित बच्चों की मौत में भी इजाफा हुआ है. ये मौतें कई सवालों को भी खड़ा करती है. आखिर किस हालात में मौत की संख्या में इजाफा हुआ है.

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