शब्दबोध पर विद्वानों ने डाला प्रकाश दर्शन विभाग में चल रही कार्यशाला फोटो- 1 व 2परिचय- कार्यशाला को संबोधित करते विद्वान एवं उपस्थित शिक्षक व प्रतिभागीगण.दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृ त विश्वविद्यालय के पीजी दर्शन शास्त्र विभाग में राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन गुरुवार को संसाधन पुरुषों ने शब्दबोध के विभिन्न बिंदुआंे पर प्रकाश डाला. न्याय सिद्धांत मुक्तावली का शब्दखंड विषय पर चर्चा करते हुए द्वितीय सत्र के आधार पुरुष नेपाल के डा. गोविंद चौधरी ने कहा कि पद ज्ञान ही करण है न कि ज्ञायमान पद. संकेत जैसे वीजातिय हस्तादि संकेत से ही शब्दबोध की प्रतीति होती है. लक्षणावृति से ही शब्दबोध होता है. उन्होंने कहा कि गंगा की शीतलता व पावनता प्रवाह में है न कि किनारे में. ऐसे में गंगायां भोष: में लक्षणावृति से गंगा तीरे भोष: अर्थात गंगा के तट पर घोष का अर्थ प्रतीत होता है. अर्थात लक्षणावृति से किनारे में शीतलता, पावनता नहीं हो सकती लेकिन ईश्वरेच्छा से तट में भी शीतलता पावनता स्वीकार होगा. विशेषण से भेद की प्रतिति की बात क रते हुए उन्होंने कहा कि विशेष्य में भेद की प्रतीति नहीं होती. वहीं चतुर्थ सत्र में आधार पुरुष डा. महेश झा ने कहा कि नद्यादि पद के लिए आधुनिक संकेत शास्त्र में भी शक्ति मानी जाय यहां पर ईश्वरेच्छा को ही शक्ति माननी चाहिए. अपभ्रंश शब्द में शक्ति भ्रम ही मानना होगा. यहां शब्दबोध नहीं होता है. शक्ति ग्रह के आठ कारणों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि व्याकरण, उपमान, वृद्ध व्यवहार आदि इसके मुख्य कारण हैं. इस अवसर पर संयोजक सह विभागाध्यक्ष डा. बौआनंद झा सह संयोजक डा. सुधीर कुमार झा सहित कई विद्वान व प्रतिभागी उपस्थित थे.
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कैंपस-विशेष्य नहीं विशेषण से होती है भेद की प्रतीति
शब्दबोध पर विद्वानों ने डाला प्रकाश दर्शन विभाग में चल रही कार्यशाला फोटो- 1 व 2परिचय- कार्यशाला को संबोधित करते विद्वान एवं उपस्थित शिक्षक व प्रतिभागीगण.दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृ त विश्वविद्यालय के पीजी दर्शन शास्त्र विभाग में राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन गुरुवार को संसाधन पुरुषों ने शब्दबोध के विभिन्न बिंदुआंे पर प्रकाश डाला. […]
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