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क्षतिग्रस्त मकानों में कितने सुरक्षित हैं शहरवासी

भूकंप से वार्डो में कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. या कई मकान ऐसे जिनको मानव के अनुपयुक्त बताया गया है. बावजूद लोग रह रहे हैं. जिनको गिराने का आदेश भी निर्गत किया जा चुका है. मगर निगम उनका सर्वेक्षण करना भी मुनासिब नहीं समझ रहा है. दरभंगा : विगत तीन सप्ताह से भूकंप के झटकों […]

भूकंप से वार्डो में कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. या कई मकान ऐसे जिनको मानव के अनुपयुक्त बताया गया है. बावजूद लोग रह रहे हैं. जिनको गिराने का आदेश भी निर्गत किया जा चुका है. मगर निगम उनका सर्वेक्षण करना भी मुनासिब नहीं समझ रहा है.
दरभंगा : विगत तीन सप्ताह से भूकंप के झटकों ने पुराने की कौन कहे, कई नवनिर्मित मकानों की भी चूल हिला दी है. ऐसी स्थिति में पांच वर्ष पूर्व सर्वेक्षण के दौरान जिन मकानों को क्षतिग्रस्त बताते हुए मानव निवास के लिए अनुपयुक्त घोषित किया गया था, उसकी कैसी स्थिति है या उन मकानों में अबतक रहनेवालों पर क्या बीत रही है, उसका सर्वेक्षण कराना भी निगम प्रशासन ने अबतक मुनासिब नहीं समझा है.
अगिAशमन कार्यालय भी क्षतिग्रस्त
विश्वविद्यालय के चौरंगी स्थित अगिAशमन कार्यालय में जगह-जगह पड़े दरार उस मकान की जजर्रता बयां कर रही है. यह स्थिति विगत एक दशक से है. नगर निगम के अभियंताओं ने उसे किसी भी रूप में मानव निवास के लिए अनुपयुक्त करार दिया है.
इसके बावजूद अगिAशमन विभाग के कर्मी एवं होमगार्ड के जवान वहां रह रहे हैं. उसीके निकट सर्वे ऑफिस का अतिथि निवास भी किसी भी समय धराशायी होने की स्थिति में है.
कटहलबाड़ी स्थित होल्डिंग नंबर 732 में मधु साह एवं 529 में नारायण पंजियार का दोमंजिला मकान भी किसी भी समय ध्वस्त होने की स्थिति में बताया गया है. निगम के कनीय अभियंता एवं सहायक नगर अभियंता की इस रिपोर्ट को पांच वर्षो से आदेश के प्रत्याशा में संचिका तक ही सिमटा हुआ है.

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