दरभंगा. मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के चहुंमुखी विकास में अहम भूमिका निभाती है. यह कहना था डॉ वैशाली कुशवाहा का. वे शनिवार को दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में शिक्षा में भाषा का महत्व विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रही ं थीं. उन्होंने कहा कि मातृभाषा के महत्व को कमतर कर नहीं आंका जाना चाहिए. निदेशक डॉ अरविंद कुमार झा ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय ने शिक्षा के भाषा के महत्व को रेखांकित करने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया है. मुख्य वक्ता के रूप में दक्षिणी भारत हिंदी प्रचार-प्रसार सभा चेन्नई की उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान की कुलसचिव डॉ निर्मला एस मौर्य ने कहा कि छात्रों के समक्ष एक शिक्षक एवं व्याख्याता बनने के अतिरिक्त और भी कई विकल्प है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उनमें कौशल का विकास हो. उन्होंने शिक्षा को व्यावहारिकता के साथ जोड़ने पर बल दिया. छात्राओं के द्वारा स्वागत गान से शुरू हुए इस कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ अरविंद कुमार मिलन, विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग ने किया. जबकि मंच संचालन डॉ मुक्ता मणि के द्वारा किया गया. कार्यक्रम में छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ केपी सिन्हा,डॉ शंभु प्रसाद, अखिलेश मिश्र, निधि वत्स, डॉ अंकिता, कुमारी स्वणरेखा सहित अन्य मौजूद थे.
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मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के विकास के लिए जरूरी
दरभंगा. मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के चहुंमुखी विकास में अहम भूमिका निभाती है. यह कहना था डॉ वैशाली कुशवाहा का. वे शनिवार को दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में शिक्षा में भाषा का महत्व विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रही ं थीं. उन्होंने कहा कि मातृभाषा के महत्व को कमतर कर नहीं आंका जाना चाहिए. […]
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