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गोष्ठी में गये गुरुजी, लटके ताले

दरभंगाः जिस मिडिल स्कूल में प्रधानाध्यापक ही एकमात्र शिक्षक हों और उन्हें भी विभागीय मासिक गोष्ठी में भाग लेने जाना हो तो वे क्या कर सकते हैं? बस यही कि छात्र-छात्रओं की हाजिरी बनाकर उन्हें छुट्टी दे दी जाये और स्कूल में ताला लटका दिया जाये. यही हाल शनिवार को रामचौक स्थित विश्वेश्वर लाल सरावगी […]

दरभंगाः जिस मिडिल स्कूल में प्रधानाध्यापक ही एकमात्र शिक्षक हों और उन्हें भी विभागीय मासिक गोष्ठी में भाग लेने जाना हो तो वे क्या कर सकते हैं? बस यही कि छात्र-छात्रओं की हाजिरी बनाकर उन्हें छुट्टी दे दी जाये और स्कूल में ताला लटका दिया जाये. यही हाल शनिवार को रामचौक स्थित विश्वेश्वर लाल सरावगी मध्य विद्यालय का देखने को मिला. शनिवार को स्कूल खुले रहने की अवधि में वहां एक भी छात्र-छात्र मौजूद नहीं थे.

स्कूल का मुख्य द्वार हालांकि खुला हुआ था, लेकिन अंदर प्रधाना ध्यापक कक्ष सहित सभी वर्ग कक्षों पर ताले लटक रहे थे. आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि प्रधानाध्यापक बच्चों को छुट्टी देकर विभागीय मासिक गोष्ठी में भाग लेने लहेरियासराय चले गये.

फरवरी 2013 से ही हैं एक शिक्षक
रामचौक स्थित यह राजकीयकृत मध्य विद्यालय फरवरी 2013 से ही एकमात्र शिक्षक के भरोसे चल रहा है. फरवरी 2013 में अन्य शिक्षकों का अन्यत्र तबादला हो जाने के बाद से शिक्षक राम कुमार रमण ही यहां प्रधानाध्यापक के प्रभार में है. इसी एक शिक्षक के भरोसे कक्षा एक से आठ तक की नामांकित 229 छात्र-छात्रओं का पठन-पाठन चल रहा है. दूरभाष पर संपर्क कर जब प्रभारी प्रधानाध्यापक से स्कूल अवधि में भी विद्यालय बंद रहने का कारण पूछा गया तो उनका जवाब था कि आखिर क्या कर सकते हैं? मासिक गोष्ठी में भाग लेने की बाध्यता है. विद्यालय खुला छोड़ जाते हैं तो बच्चे आपस में झगड़ा कर घायल हो जाते हैं. मजबूरी में हाजिरी बना, नोटिस कर छुट्टी दे दी जाती है.

छोटे-छोटे तीन ही कमरे
विद्यालय में भवन और वर्ग कक्षों का घोर अभाव है. यहां मात्र तीन छोटे-छोटे कमरे हैं. बरामदा भी काफी संकरा है. एक कमरे में प्रधानाध्यापक कक्ष है और उसी में वर्ग सात और आठ की कक्षाएं भी चलती हैं. बांकी एक से लेकर छह तक के वर्ग दो छोटे से दड़बेनुमा कमरों में ही संचालित किये जाते हैं.

संकरा बरामदा तक में छात्र-छात्राएं ठुंसी रहती है. प्रधानाध्यापक राम कुमार रमण ने बताया कि औसत उपस्थिति डेढ़ सौ से दो सौ छात्रों तक की होती है. ऐसे में एक से दूसरे कमरे में आना-जाना तक असंभव हो जाता है. चारों तरफ से बंद इस विद्यालय के भवन में ताजी हवा तक प्रवेश नहीं कर पाती. बच्चों के साथ-साथ मेरा भी दम घुटता रहता है. ऐसे में पठन-पाठन की क्या हालत होती होगी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रधानाध्यापक ने बताया कि शिक्षकों और वर्ग कक्षों की कमी की समस्या के बारे में विभाग को कई बार जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन अबतक कुछ भी नहीं हो पाया है.

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