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बालू की किल्लत से रेलवे का निर्माण ठप ये योजनाएं प्रभावित

70 लाख की लागत से बाहरी परिसर में वाहनों के आवागमन के लिए लेन बनाए जा रहे हैं. दूसरी ओर पार्किंग स्थल विकसित किया जा रहा है. नए शौचालय बन रहे हैं. वही प्लेटफार्म को भी आइडियल लुक दिया जा रहा है. जमीनी तल से प्रमुख कार्यालयों को छोड़ अन्य कार्यालयों को हटाया जा रहा […]

70 लाख की लागत से बाहरी परिसर में वाहनों के आवागमन के लिए लेन बनाए जा रहे हैं. दूसरी ओर पार्किंग स्थल विकसित किया जा रहा है. नए शौचालय बन रहे हैं. वही प्लेटफार्म को भी आइडियल लुक दिया जा रहा है. जमीनी तल से प्रमुख कार्यालयों को छोड़ अन्य कार्यालयों को हटाया जा रहा है. आवश्यक ऑफिस के लिए अलग से निर्माण कार्य चल रहा है. यात्रियों के लिए जहां एक नया प्रतीक्षालय बन रहा है, वहीं पुराने वेटिंग हॉल का पुनर्निर्माण किया जा रहा है.

नये वीआइपी लांज बनाये जाने की भी योजना है. ये योजनाएं करीब 30 लाख की लागत की हैं. बालू की किल्लत के कारण ये सारी योजनाएं ठप पड़ गई है. वेटिंग हॉल की दीवार पर ग्रेनाइट लगाए जाने का काम रुका हुआ है. वहीं तैयार हो रहे नए इंक्वायरी कार्यालय के जमीन पर टाइल्स व काउंटर पर ग्रेनाइट नहीं लग पा रहा है. बाहरी परिसर में सेप्टिक टैंक की ढलाई भी इस वजह से ठप है.

दरभंगा : बालू की किल्लत से केवल सामान्यजन ही परेशान नहीं हैं, बल्कि सरकारी योजनाएं भी इस वजह से प्रभावित हो रही हैं. रेलवे में चल रही करीब एक करोड़ की योजना का कार्य बालू की किल्लत की वजह से ठप पड़ गया है. इस कारण जहां रेल यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है, वहीं रेल प्रशासन कार्य ठप होने से चिंतित है. उल्लेखनीय है कि दरभंगा जंक्शन पर यात्री सुविधा को विस्तार देने के नजरिये से काम चल रहा है. बाहरी परिसर को भी व्यवस्थित करने की दिशा में काम हो रहा है. निर्माण कार्य होने तथा पुराने भवन को तोड़े जाने से पूरा परिसर अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है.
अगले महीने होना है जीएम का इंस्पेक्शन: अगले महीने पूर्व मध्य रेल महाप्रबंधक का वार्षिक निरीक्षण प्रस्तावित है. अभी तक तिथि को लेकर जो चर्चा चल रही है उसके अनुसार जीएम इंस्पेक्शन में अब एक महीना से कम समय रह गया है. रेलवे की मंशा है कि महाप्रबंधक के निरीक्षण से पूर्व ये सारे काम कर लिये जाएं, लेकिन बालू का अभाव इस पर पानी फेरता नजर आ रहा है. निर्माण कार्य ससमय पूरा नहीं होने के बन रहे आसार को देखते हुए रेल प्रशासन परेशान है.
ये योजनाएं प्रभावित
70 लाख की लागत से बाहरी परिसर में वाहनों के आवागमन के लिए लेन बनाए जा रहे हैं. दूसरी ओर पार्किंग स्थल विकसित किया जा रहा है. नए शौचालय बन रहे हैं. वही प्लेटफार्म को भी आइडियल लुक दिया जा रहा है. जमीनी तल से प्रमुख कार्यालयों को छोड़ अन्य कार्यालयों को हटाया जा रहा है. आवश्यक ऑफिस के लिए अलग से निर्माण कार्य चल रहा है. यात्रियों के लिए जहां एक नया प्रतीक्षालय बन रहा है, वहीं पुराने वेटिंग हॉल का पुनर्निर्माण किया जा रहा है. नये वीआइपी लांज बनाये जाने की भी योजना है. ये योजनाएं करीब 30 लाख की लागत की हैं. बालू की किल्लत के कारण ये सारी योजनाएं ठप पड़ गई है. वेटिंग हॉल की दीवार पर ग्रेनाइट लगाए जाने का काम रुका हुआ है. वहीं तैयार हो रहे नए इंक्वायरी कार्यालय के जमीन पर टाइल्स व काउंटर पर ग्रेनाइट नहीं लग पा रहा है. बाहरी परिसर में सेप्टिक टैंक की ढलाई भी इस वजह से ठप है.

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